बीकानेर-शहीदों को याद करना और उनसे निरन्तर प्रेरणा हासिल करना हमारा फर्ज़ है। शहीदों के आदर्शों और आजादी के जज़्बे को पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरण हमारा सर्वोच्च प्राथमिक कार्य है। यह कहना था वरिष्ठ शाइर गुलाम मोहियूद्दीन माहिर का जो स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सोशल प्रोग्रेसिव सोसाइटी द्वारा अस्मत अमीन सभागार में आयोजित संगोष्ठी एवं सम्मान कार्यक्रम में बतौर अध्यक्ष उद्बोधन दे रहे थे।
संस्था अध्यक्ष नदीम अहमद नदीम ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था की गतिविधियों की जानकारी दी तथा कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए साहित्यकार डॉ. रेणुका व्यास ‘नीलम’ ने कहा कि देश की आजादी में साहित्यकारों, लेखकों, कवियों, शाइरों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उत्कृष्ट साहित्य ने भारतीयों में जनजागरण किया। केन्द्रीय साहित्य अकादमी से पुरस्कृत साहित्यकार संजय पुरोहित, भाषाविद् मुफ्ती सद्दाम हुसैन, रंगकर्मी विजय शर्मा नवाचारी शिक्षक आनन्द पुरोहित ‘मस्ताना’ तथा सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल रऊफ राठौड़ को साहित्य, श्रीफल, अंगवस्त्र, नगद राशि एवं सम्मान पत्र मंचस्थ अतिथियों गुलाम मोहियूद्दीन माहिर, राजेन्द्र जोशी तथा सुधीश शर्मा द्वारा भेंट किया गया। सम्मानित होने वालों का परिचय संजय जनागल, कासिम बीकानेरी, लियाकत अली, इमरोज नदीम तथा डॉ. फारूक चौहान द्वारा प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव नागरिकों को और अधिक जिम्मेदार बना रहा है। लोकतांत्रिक मूल्यों की सुदृढ़ता के लिए युवा पीढ़ी को सक्षम बनाना हमारी महत्ती जिम्मेदारी है।
विशिष्ट अतिथि सी. ए. सुधीश शर्मा ने आयोजन में बच्चों और युवाओं की उपस्थिति को संगोष्ठी और सम्मान कार्यक्रम की सार्थकता बताते हुए कहा कि शहीदों को हमेशा याद रखें तथा लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए निरन्तर कार्य करते रहें। इन्हीं प्रयासों की बदौलत ही सम्पूर्ण विश्व हमारे भारतीय लोकतंत्र का सम्मान करता है।
कार्यक्रम की संचालिका डॉ. रेणुका व्यास ‘नीलम’ का सम्मान शिक्षिका तसनीम बानों द्वारा माल्यार्पण, साहित्य एवं मोमेन्टों भेंट कर किया गया।
वरिष्ठ रंगकर्मी जीतसिंह ने रामधारी सिंह दिनकर की ओजस्वी कविता अपने विशिष्ट अंदाज में प्रस्तुत करके कार्यक्रम को एक नया अन्दाज दिया। कार्यक्रम में अल्लाद्दीन निर्बाण, नूरूल हसन मदनी, संजय जनागल, जीत सिंह, वेदप्रकाश ढल्ला, सुनील गज्जाणी, कमल रंगा, कासिम बीकानेर, इस्रार हसन कादरी, लियाकत अली, आजिम हुसैन, इमरोज नदीम, अरमान नदीम, रफीका सुल्तान, न्याज अहमद, मीतू ढल्ला, सुषमा, दीपक शर्मा, प्रीति मीणा, अब्दुल हय्यूम, आत्माराम भाटी, राजेश भाटी, प्रवीण कड़ेला, शराफल अली की गरिमामय उपस्थिति रही।
आभार वरिष्ठ लेखक आत्माराम भाटी ने आभार व्यक्त किया।