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बीकानेर/राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट बीकानेर के तत्वाधान में गुरुवार को राजस्थान दिवस के अवसर पर राजस्थानी उच्छब के अंतर्गत राजस्थानी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, राजकीय संग्रहालय परिसर में आयोजित कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष राजेन्द्र जोशी ने की।
इस अवसर पर जोशी ने कहा कि राजस्थान कला साहित्य एवं संस्कृति की समृद्ध परंपरा का प्रदेश है, इस प्रदेश की राजस्थानी भाषा मीठी एवं अपनत्व की भाषा है ,जोशी ने कहा राजस्थानी संस्कृति को पूरी दुनिया में राजस्थानी लोग समृद्ध कर रहे है, उन्होंने कहा कि अपनी भाषा की मान्यता की बाट उड़ीक रहे है। उन्होंने कहा दुनिया के प्रत्येक हिस्से में राजस्थानी भाषा बोली जाती है जोशी ने कहा कि राजस्थान दिवस शान- शौकत और बलिदान की भूमि है, राजस्थानी भाषा हजार वर्ष पुरानी है इसे मान्यता देना सरकार की जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व्यंगकार-सम्पादक संपादक डॉ अजय जोशी ने कहा कि अच्छा होता कि आज के दिन भारत सरकार एवं राजस्थान सरकार राजस्थानी भाषा को मान्यता की घोषणा करती।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद मोहन लाल जांगिड़ रहे।
वरिष्ठ कवि राजाराम स्वर्णकार ने सदा सुरंगी आ धरती मन सूं सिंणगार सजावै
माळा फेरे हरि नाम री दिन दिन हरख बधावै ।
मंगळगान करै कुदरत ने लूहर राग सुणावै”
राजस्थानी कवियत्री-आलोचक डाॅ.कृष्णा आचार्य ने ओजस्वी गीत
देसा मांहि देस आपणो सोवे राजस्थान है
मायड भासा लागे सोवणी कैवे राजस्थान है
सूर वीरां री अमर कहाणी गावे राजस्थान है
रंग रंगीलो मन भावणों म्हारो राजस्थान है” सुनाकर भाव विभोर कर दिया।
मीठे कंठो की गीतकार-रचनाकार मनीषा आर्य सोनी ने
“म्हें मुरधर री रेत रेणका,म्हें धोरां री राणी हूं
म्हें शक्ति री महाआरती,म्हें भक्ति री वाणी हू
ऊंडै जळ री सोन मछरीया, रोही री धणयाणी हू
सोने सिरसो मुरधर म्हारो म्हें एक राजस्थानी हू,, गीत सुनाकर वाही वाही लूटी
अब्दुल शकूर सिसोदिया बीकाणवी ने”कुण पहरावै ताज? बहरो है राज..सूना है साज..बिना मानता मा फिरे म्हनै आवै है लाज..सुणो कोनी राज”
युवा कवि विपल्व व्यास ने शानदार राजस्थानी कविता “झाला देती डूंगरी
जळम लियो फूटोडे आंगणै सियाळे रै माय चाली बैमारी बडी सुरसत जाया माय भूल रैया सच कैवणो फैटा दुपटा माय मंगलिया”
हास्य कवि बाबू बमचकरी ने अपनी राजस्थानी कविता प्रस्तुत करते हुए इस प्रकार पेश की “आंख मीच अंधारी कर,भले ही सिरे ने पंधारी कर” ।
वरिष्ठ कवि कैलाश टाक ने शानदार रचना पेश करते हुए “बैठ्या हा सभा माही मोटा मोटा भूप
जिका रोक देवता चांदे री चांदणी सूरज री धूप”।
वरिष्ठ कवि राजेद्र जोशी ने राजस्थानी रचना रगत सूं साख भरै में कहा कि आपरै टाबरां री रुखाळी मां आपरै रगत सूं करणी जाणै आखरी सांस तांई टाबरां री आस टूटण नीं देवै प्रस्तुत की।
युवा साहित्यकार जुगल पुरोहित ने संचालन करते हुए
राजस्थानी राज री मायड़
भाषा सान।
मिले जै इणने मानंता साहित
रो सनमान रचना पेश की। कार्यक्रम कार्यक्रम में ऋषि अग्रवाल एवं डॉक्टर फारुख चौहान ने आभार प्रकट करते हुए राजस्थान दिवस पर अपनी बात रखी।

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