बीकानेर,आज विश्व के प्रत्येक कोने में मानव को जल संकट से जूझना पड़ रहा है। यही स्थिति पर्यावरण के प्रत्येक क्षेत्र में देखने को मिल रही है। वन, वन्य जीव एवं प्राकृतिक वातावरण के परस्पर संतुलन में बढ़ती हुई गिरावट ने वर्तमान बुद्धिजीवी वर्ग को इस सम्बन्ध में चिंतन-मनन करने के लिए विवश कर दिया है। यह बात कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से जिले में संचालित जन शिक्षण संस्थान, बीकानेर की ओर से स्वच्छता पखवाड़ा 16-31 जुलाई के तहत शनिवार को जल प्रबंधन पर 40 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बीछवाल में आयोजित कार्यक्रम में संस्थान के कार्यक्रम अधिकारी महेश उपाध्याय ने कही।
उपाध्याय ने कहा कि लोगों ने जल के व्यर्थ विदोहन से इसकी मात्रा व इसके संसाधनों को नियत परिसीमा में सीमित कर दिया है। इसी का परिणाम है कि केवल बुद्धिजीवी वर्ग का ही यह उत्तरदायित्व नहीं है, बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वे इस सम्बन्ध में जागरूक बने एवं अपने पर्यावरण की सुरक्षा करे।
संस्थान के कार्यक्रम सहायक उमाशंकर आचार्य ने कार्यक्रम की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जल प्रबंधन समय की जरूरत है। हमें पानी का प्रबंधन करना आवश्यक है। बरसात का पानी का संचय, कुआं, बावड़ी, नहर व घरों में ज्यादा से ज्यादा इसकी सुरक्षित व्यवस्था करनी होगी।
कार्यक्रम का संयोजन करते हुए संस्थान के लेखाकार लक्ष्मीनारायण चूरा ने कहा कि भारत जैसे राष्ट्र में जल संकट का एकमात्रा कारण यह नहीं है कि वर्षा की मात्रा निरंतर घटती जा रही है।
बीछवाल फिल्टर हाऊस के आॅपरेटर हेल्पर संजय चैधरी, धर्मेन्द्र, केशुराम, मुकेश आदि ने पूरे परिक्षेत्र का भ्रमण करवाकर बताया कि यहां से इंदिरा गांधी नहर के पानी को संग्रह कर उसको फिल्टर के प्रोसेस के बाद बीकानेर शहर के लोगों के लिए पीने योग्य पानी दिया जाता है।
इस कार्यक्रम में संदर्भ व्यक्ति श्रीमती रेशमा वर्मा, सुनीता सांखला, वहीदा खातून, दिव्या, दुर्गेश, प्रवीण शर्मा, आदि ने जल प्रबंधन के महत्व पर अपने विचार रखते हुए सक्रिय भूमिका निभाई।