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बीकानेर,आचार्य तुलसी समाधी स्थल पर एक दिवसीय आवासीय  प्रेक्षा ध्यान शिविर का आयोजन उग्र विहारी तपो मूर्ति मुनि कमल कुमार जी के सानिध्य में आयोजित किया गया। सुबह 6:00 से रात 8:30 तक  प्रेक्षा ध्यान के कार्यक्रम आयोजित किए गए l जिसमें  प्रशिक्षक संजू लालाणी व धीरेंद्र बोथरा द्वारा  आसन, प्राणायाम, कायोत्सर्ग व ध्यान के विभिन्न प्रयोग कराए गए l

इस शिविर में 71 शिविरार्थियों ने पूरी तन्मयता से भाग लिया। सभी शिविरर्थियों ने साधना काल में मुनि श्री की प्रेरणा से समय का उपयोग किया।  मुनिश्री ने सभी शिविरार्थियों को अपने उद्बोधन में अपने शरीर को स्वस्थ रखते हुए आत्मा को परमात्मा कैसे बनाया जाए। इसके लिए संयम के साथ अपने कार्य करते हुए तप, जप,और ध्यान करने की प्रेरणा दी। भोगवादी प्रवृत्ति से दूर रहकर तप, संयम से अपने जीवन को सार्थक बनाने की प्रेरणा दी और शिविर में जो कुछ सिखाया जाता है ,उसको घर पर भी निरंतर चालू रखने की प्रेरणा दी। निरन्तरता होगी तभी लोगों की शिविर में आने की सार्थकता सिद्ध होगी। इस शिविर में 500 से अधिक सामायिक हुई।

शिविर में अनुभव के स्वर

शिविर के बारे में अपने अनुभव बताते हुए इंद्र चंद सेठिया ने सहिष्णुता के बारे में बताया। संसार में एक शक्ति है तो वह है सहिष्णुता जो प्रेक्षा ध्यान से पल्ल्वित होती है । मोनिका ने कहा कि ध्यान से भेद विज्ञान का अनुभव हुआ । उषा ने कहा कि शिविर में पहली बार आई कायोत्सर्ग से राग द्वेष से मुक्ति मिली। सुरेन्द्र  भूरा ने  वर्षीतप का संकल्प लिया और 3 महीने मिठाई का त्याग किया । लक्ष्य ने कहा कि यह शिविर मेरे लिए अद्भुत रहा। मानसिक चेतना का जागरण हुआ। ध्यान का महत्व समझा। शांति व संतुलन का आधार बना। कनक गोलछा  ने कहा कि मैंने  तीसरे शिविर में भाग लिया इससे ऊर्जा का प्राप्त हुयी ।

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