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बीकानेर,पाक ISI एवं पाक इंटेलिजेंस ऑपरेटिब्ज (PIO) द्वारा छदम नाम से फेसबुक आईडी बनाकर व छदम फोन कॉल करके भारत में संवेदनशील सस्थानों (छावनी क्षेत्र) के आस-पास निवास करने वाले भारतीय नागरिकों, ऐसे संस्थानों में कार्यरत कार्मिकों से सोशल मीडिया के माध्यम से सम्पर्क करके सैन्य एवं सामरिक महत्व की सूचनाएं प्राप्त करने का निरंतर प्रयास किया जाता रहा है। जिसके परिणामस्वरूप उक्त लोगों के हनी ट्रेप में फंसकर व आस्था परिवर्तन करवाने में सफल होने के उपरान्त सूचना साझा करने के काफी प्रकरण भी समय-समय पर देश के विभिन्न क्षेत्रों में दर्ज हुए है। इस सन्दर्भ में राज्य विशेष शाखा जयपुर द्वारा वर्ष 2021 के दौरान अब तक कुल 07 प्रकरण शासकीय गुप्त बात अधिनियम 1923 के तहत दर्ज करवाये गये है। इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाने हेतु जिला श्रीगंगानगर के संवेदनशील संस्थानों के आस-पास एवं भारत-पाक सीमा क्षेत्र में श्री उमेश मिश्रा, आईपीएस, महानिदेशक पुलिस, इन्टेलीजैंस राज0 जयपुर द्वारा दिये गये निर्देशों के तहत ऑपरेशन निगहबानी चलाया गया। यह ऑपरेशन तीन क्रमबद्ध चरणों में प्रारम्भ किया गया जिसमें राज्य विशेष शाखा,जयपुर व सीआईडी जोन श्री गंगानगर के करीब 50 अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा प्रथम चरण में सूरतगढ़, लालगढ़ व साधुवाली छावनी क्षेत्र इसके आस पास रहने वाले ऐसे व्यक्तियों की पहचान की गयी जो किसी भी तरह से पीआईओ PIO के सम्पर्क में है या आ सकते है, द्वितीय चरण में ऐसे चिन्हित व्यक्तियों पर तकनीकी व अन्य माध्यमों से निगरानी रखकर डेटा संकलन किया गया तथा अंतिम चरण में ऐसे चिन्हित लगभग 25 व्यक्तियों को इंटेरोगेशन सेंटर सुरतगढ़ व गंगानगर में बुला कर विस्तृत पूछताछ की गयी.पूछताछ के दौरान उक्त व्यक्तियों में से कुछ व्यक्तियों के पीआईओ के सम्पर्क में होने की पुख्ता जानकारी मिली है। कुछ संदिग्ध व्यक्तियों के तकनीकी उपकरणों को कब्जे में लिया जाकर अग्रिम जाँच एवं विशलेषण हेतु विधि विज्ञान प्रयोगशाला जयपुर भिजवाया जा रहा है। पूछताछ से प्राप्त तथ्यों एवं तकनीकी विशलेषण रिपोर्ट होने के आधार पर विधिक राय प्राप्त कर कानूनी कार्यवाही की जावेगी।श्रीमान महानिदेशक पुलिस, इन्टेलीजेंस  उमेश मिश्रा, आईपीएस द्वारा आमजन से विशेष अपील की गई है कि पीआईओ/आईएसआई द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म जेसे फेसबुक, ट्वीटर, वाट्सएप, इन्सटाग्राम आदि के माध्यम से छद्म नामों से आईडी बनाकर सम्पर्क कर पहले आपसी सौहार्द बढ़ाते है तथा बाद में सामरिक/सैन्य संस्थानों के बारे में जानकारी यथा फोटोग्राफी, विडियोग्राफी, अधिकारियों के मोबाईल नंम्बर, लोकेशन आदि की मांग करते है जिसे कुछ व्यक्तियों द्वारा जाने-अनजाने में साझा कर ली जाती है जो प्रतिबन्धित है तथा राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अनुचित है।

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