बीकानेर,सरकार भले ही इस बात का दावा करती हो कि वे पारदर्शी सरकार दे रही है। लेकिन सरकार कार्यालयों में कितनी पारदर्शिता है। इसकी बानगी उप पंजीयक बीकानेर द्वितीय के कार्यालय में देखने को मिलती है। इसका ज्वलंत उदाहरण एक ही भूमि की रजिस्ट्री में विभाग के कार्मिकों व अधिकारियों की कारगुजारी है। तीन ही महीनों में एक जमीन की कीमत में न केवल ग्यारह लाख रूपये की गिरावट आ जाती है,बल्कि स्टांप ड्यूटी भी एक लाख रूपये कम लेकर रजिस्ट्री कर दी गई। जानकारी मिली है कि जेएनवीसी निवासी रेणू गुप्ता ने उदासर में 24 अगस्त 2021 को 1 बीघा जमीन की रजिस्ट्री सुनील सोनी को की थी जिसकी मालियत 25 लाख बैयनाम किया। लेकिन उप पंजीयक बीकानेर द्वितीय की ओर से मालियत 27 लाख से ज्यादा मानते हुए इस पर देय मुद्रांक राशि मय पंजीयन शुल्क और अन्य सरचार्ज सहित जमा करवाने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद 29 लाख 52 हजार 510 रूपये की मालियत पार्टी की ओर से 24 अगस्त 21 को जमा भी करवा दिए गये। जिसमें धारा 54 का हवाला दिया गया था। मजे की बात है कि महज तीन महीने बाद ही इस धारा 54 का हवाला देते हुए उप पंजीयक बीकानेर द्वितीय की ओर से सुनील सोनी ने एक बीघा जमीन पांच जनों को गिफ्ट कर दी। अब इसी एक बीघा जमीन की जब पुन: रजिस्ट्री की गई तो पंजीयन विभाग ने पूर्व में तय की गई डीएलसी रेट से शुल्क जमा करवाने की बजाय 18 लाख 67 हजार 833 में ही रजिस्ट्री निस्पादित कर दी। ऐसे में एक ही जमीन के एक बीघा टुकड़े की दुबारा रजिस्ट्री में ग्यारह लाख के राजस्व को कम लेना विभाग को संदेह के घेरे में लाता है।
इस संदर्भ में जब जानकारों से पता किया तो सामने आया कि अगर सरकार डीएलसी रेट कम करें तो मालियत शुल्क में कमी आ सकती है। वहीं गिफ्ट डीड की स्थिति में सरचार्ज,पंजीयन शुल्क व अन्य चार्ज में कमी आ सकती है। लेकिन मालियत शुल्क में बदलाव नहीं हो सकता। किन्तु उप पंजीयन बीकानेर द्वितीय ने दुबारा बेची गई जमीन की मालियत 18 लाख 67 हजार 833 कर रजिस्ट्री निस्पादित कर दी। जिससे ऐसा लगता है कि विभाग की ओर से भारी भ्रष्टाचार किया गया है।