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बीकानेर -राजस्थान के लोकप्रिय और सभी वर्गों के हितैषी यसस्वी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा आज विधानसभा में राजस्थान के वर्ष 2022-23 के लिए पेश किया गया बजट सर्व वर्ग के लिए समर्पित बजट है

बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए शहर कांग्रेस जिला अध्यक्ष यशपाल गहलोत ने कहा कि अशोक गहलोत द्वारा पेश किया गया बजट हर वर्ग को हर क्षेत्र को और हर उम्मीदों को पूरा करता हुआ बजट है बजट में युवाओ,महिलाओ,नोकरीपेशा, सरकारी कर्मचारियों, सेवानिवृत कर्मचारियों, व्यापारियों, मध्यमवर्गीय परिवारों, शिक्षा, स्वास्थ,सेवा, सुरक्षा, सड़क, ग्रामीण विकास, पशुधन, सबका समावेश और खासतौर से किसानों के लिए किए गए प्रावधान साबित करते है कि यह ऐसे पालनहार द्वारा पेश किया गया बजट है जो कि अपने आस पास के सभी सजीव और निर्जीव वस्तुओ की उपयोगिता और उनकी सहभगीता सुनिश्चित करता है, मुफ्त बिजली, महिला पुलिस, 1लाख 25 हजार नई नोकरियों, जनप्रतिनधियो और दूध उत्पादकों के मानदेय में बढ़ोतरी और खासतौर से सरकारी नोकरी में सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करना, 5 लाख तक का बीमा फ्री करना, सभी सरकारी अस्पतालों में सम्पूर्ण इलाज फ्री करना हर विधानसभा के लिए सड़कों का नवनिर्माण और मरम्मत करना राजमार्गो को विस्तारित करना और सबसे बड़ी बात लोक कलाकारों के साथ साथ महिलाओ को मुफ्त मोबाइल इंटरनेट की सुविधा के साथ और उनकी सुरक्षा के लिए सायबर क्राइम पुलिस, सुरक्षा गार्डों किनयी भर्ती, मोबाइल पुलिस मतलब
हर हाथ शक्ति हर हाथ तरक्की का शानदार बजट है और ऐसा कोई संवेदशील व्यक्ति ही कर सकता है इस मामले में अशोक गहलोत जी ने साबित कर दिया है कि उनका साशन किसी एक व्यक्ति या समुदाय के लिए नही बल्कि प्रदेश के हर उस व्यक्ति और प्राणी के लिए है जो यहां जीवन यापन कर रहा है इस से बड़ा और ऐतिहासिक बजट नही हो सकता

शहर कांग्रेस प्रवक्ता नितिन वत्सस ने कहा कि जयपुर को केंद्र बिंदु मानकर चले तो चारो कोणों में राजस्थान के अंतिम गाँव तक मे बैठे युवाओ, महिलाओ, पशुओ और जमीनों के साथ साथ खेतो में लहराने वाली फसलों को समर्पित बजट सम्पूर्ण भारत वर्ष के लिए नजीर पेश करता हुआ प्रतीत हो रहा है सही मायने में देश की तररकी करनी हो तो राजस्थान और उसके मुख्यमंत्री को रोल मॉडल मानकर कार्य किया जा सकता है हर एक कि मन की अभिलाषा को ध्यान में रख कर पेश किए गए इस ऐतिहासिक बजट का कोई मुकाबला नही हो सकता
इतना ही कहा जा सकता है कि

उम्मीदों के पंखों को तु यू सिमट मत अपनी बाहों में
अशोक गहलोत ने उम्मीद से ज्यादा बिछाया है राहो में

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