
बीकानेर,कोलायत,क्षेत्र में खनन विभाग की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। उच्च न्यायालय जोधपुर द्वारा मोहन लाल आदि बनाम राजस्थान राज्य की जनहित याचिका में हरीश क्ले चानी खनन लीज को स्पष्ट आदेश जारी कर निरस्त कर दिया गया था, लेकिन खनन विभाग बीकानेर ने न्यायालय के आदेशों की पालना करना मुनासिब नहीं समझा। नतीजतन क्षेत्र में अवैध खनन की गतिविधियाँ धड़ल्ले से जारी हैं।
स्थानीय ग्रामीणों और समाजसेवियों ने विभागीय अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह मामला मात्र लापरवाही का नहीं बल्कि न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है। जिस लीज को न्यायालय ने निरस्त कर दिया, उसका संचालन रोकने की जिम्मेदारी खनन विभाग की थी, परंतु आदेशों की अनुपालना न होना विभागीय उदासीनता को स्पष्ट करता है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस अवैध खनन से न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है बल्कि कानून व्यवस्था पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उच्च न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाकर विभागीय अधिकारी अवैध खनन माफिया को परोक्ष रूप से संरक्षण दे रहे हैं।
समाजसेवियों और ग्रामीणों ने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि:
1. उच्च न्यायालय के आदेशों का तत्काल पालन करवाया जाए।
2. खनन विभाग के जिम्मेदार और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए।
3. अवैध खनन पर तुरंत रोक लगाकर दोषियों पर कठोर कानूनी कदम उठाए जाएं।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो वे सामूहिक रूप से आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। न्यायालय के आदेशों की खुलेआम अवमानना लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सीधा हमला है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना खनन विभाग सहित अन्य जिम्मेवार अधिकारियों के द्वारा नहीं की जा रही है न्यायालय के लीज निरस्त के आदेश होने के बावजूद लीज अवधि बढ़ाना न्यायालय की अवहेलना है जिसको लेकर न्यायालय के समक्ष न्यायालय के आदेशों की पालना नहीं करने की अवहेलना का मामला उच्च न्यायालय के समक्ष दर्ज करवाया जाएगा