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बीकानेर,जयपुर, वल्लभनगर और धारियावाद में भजपा की करारी हार से प्रदेश भाजपा के नेतृत्व पर पार्टी के ही पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल और भवानी सिंह राजावत ने हार का ठीकरा फोडते हुए कहा कि गहलोत का मुकाबला करने का दम खम वसुंधरा राजे के अलावा राज्य के किसी और नेता में नहीं दिख रहा है। भाजपा के दोनो उपचुनाव हार जाने से यह साबित हो गया है। दोनो पूर्व विधायकों के द्वारा इस तरह के बयान से यह भी साबित हो गया है कि भाजपा में अंदरूनी कलह का दौर थमा नहीं है।

प्रहलाद गुंजल ने कहा कि कांग्रेस के पास तीन बार के सीएम अशोक गहलोत का बड़ा नेतृत्व था। हमारे पास प्रदेश में इतने बड़े नेतृत्व का अभाव रहा। इस | सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए। इसके मुकाबले में एकमात्र वसुंधरा राजे ही हैं, जिनका चमत्कारिक नेतृत्व है। वे ही मुकाबला कर सकती हैं।

यह मैं ही नहीं नीचे तक का वर्कर कह रहा है। जमीनी वर्करों से यह आवाज आने लगी है कि 2023 की नैया पार करने के लिए राजे को लाया जाए। इस हार से वर्कर विचलित और निराश है। कांग्रेस के पास तीन बार के सीएम अशोक गहलोत का नेतृत्व है। गहलोत का बड़ा कद है। उनके मुकाबला राजे ही कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेशाध्यक्ष हार के बाद यह कह रहे थे कि सरकार में रहते हुए भी तीन उपचुनाव हारे थे। इस हार के बाद तो सरकार चली गई थी। अब हम विपक्ष में हैं और हमें सरकार लानी है। वापस विपक्ष में नहीं बैठना है।

पार्टी के संगठन के पदों पर बैठे लोगों को इस पर सोचना चाहिए। सरकार लानी है तो गंभीरता से चिंतन करना होगा। संगठन के पदों पर बैठे लोगों के अलावा भी बहुत लोग हैं। सबल नेतृत्व को आगे लाना होगा। हार के लिए जिम्मेदारी के सवाल पर गुंजल ने कहा कि भाजपा में हमेशा सामूहिक नेतृत्व की बात होती है, गुंजल ने कहा कि वसुंधरा राजे को आगे लाना ही एक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।

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