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बीकानेर,आज विधानसभा चुनाव की घड़ी का अंतिम मौका है इस चुनाव में मैने बहुत बारीकी से कुछ अपनो को और कुछ परायों को अच्छे से जाना है मानता हु की चुनाव हर उस व्यक्ति या संगठनकर्ता के निर्णय का वो अवसर होता है जब वो अपने स्वाभिमान के साथ हुए आघात का बदला लेता है या फ़िर कुछ कुंठित हुए शब्दों को अपने आत्मसम्मान से जोड़ता हुआ अपने विवेक के आधार पर उसका प्रतिकार करता है

विधानसभा पश्चिम या बीकानेर की पांच सीटों की बात करू तो उनमें अनुभव को प्राथमिकता दी गई हैं परंपरागत चेहरों पर हीं पार्टी ने अपना भरोसा कायम रखा है जो की लाजमी भी है लेकिन दो विधानसभा पर अपनी अगली पीढ़ी को आगे रखना और उनको अनुभव के साथ जोड़ने का साहस पार्टी ने दिखाया है जो की स्वागत योग्य है

बात बीकानेर की पूर्व किं करू उस से पहले युवा कांग्रेस के चेहरों पर राहुल गांधी का सबसे अधिक भरोसा करने किं परिणिती है लूणकरणसर से डॉ. राजेंद्र मुंड
उसी के साथ बीकानेर पूर्व से एक आम कांग्रेस कार्यकर्ता हा विशेष इसलिए लिख देता हु की वो अध्यक्ष है आप सोचे कांग्रेस ने बहुत बड़ी जिमेददारी संगठन के कंधो पर डाली है इस टिकट से पहले जो लगातार कहते रहे की टिकट संगठन के व्यक्ति को मिले बाहरी बर्दास्त नहीं करेंगे उन सभी की भावना का सम्मान है पार्टी का निर्णय

अब सोचना और निभाना असली कांग्रेस और संगठन को मानने वाले व्यक्तियों का है बहुत सोची समझी बात आलाकमान ने की है संगठन को तवज्जो दी है वो भी उस रूप में जिसने हर विपरीत परिस्थिति में कांग्रेस की बात को महत्व दिया धनाढ्य वर्ग से ना होना और शुरआती अध्यक्षीय कार्यकाल में पूंजीपतियों का सहयोग न मिलने के बावजूद अपने अध्यक्ष पद का निर्वहन करते हुए संगठनात्मक गतिविधियों को इतने बेहतरीन तरीके से चलाना की कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष की सूची में सबसे अधिक सक्रिय सशक्त विपक्षी अध्यक्ष के रूप पहला स्थान पाने में सफलतम व्यक्ति जिनके कार्यों को प्रदेश कांग्रेस ने भी माना और 2018 में एक नही दो दो विधानसभा के सिंबल प्राप्त व्यक्ति का दोनो ही क्षेत्र से टिकट पुनः मांग लेना और सरल हृदय विनम्रता के गुणों को अपनाए युवा अध्यक्ष का पार्टी के निर्णय को शिरोधार्य कर लेना विरला यही बनता है एक साधारण यशपाल गहलोत बेहतरीन यशपाल गहलोत
परिजन, मित्रो और शुभचिंतकों के बहुत दबाव के समय बड़ा से बड़ा व्यक्ति अपनी जड़ों से हिल जाता है और दबाव में कुछ गलत कर बैठता है लेकिन संगठन को जीने वाला विशेष व्यक्ति कही दूर चला जाता है अपने को विषम परिस्थिति से बाहर निकाल कर उसी चुनाव में अध्यक्ष के रूप में पुनः मैदान संभाल लेता है ये बहुत बड़ा दिल वाला व्यक्ति कर सकता है जो की यशपाल ने कर दिखाया 2018 से लेकर 2023 तक खूब राजनीति का शिकार होने और ताकतवर से ताकतवर तीर झेल लेने के बाद 2023 में पुनः पार्टी का चेहरा बनना साबित करता है की आलाकमान ने कार्यकर्ताओं की बात को माना

आज ये चुनाव यशपाल गहलोत का नही कांग्रेस का है और यकीन मानिए ये संगठन और कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए भी अग्नि परिक्षा है में ये नही कहता की यशपाल को जिताना ही जिताना है परंतु याद रखना बहुत बड़ा फासला संगठन को हमेशा के लिए कांग्रेस को हमेशा के लिए इस विधानसभा से दफन करने जैसा कृत्य ही साबित होगा और फिर हर बार कोई बड़ा धनाढ्य या विशेष कृपा पात्र व्यक्ति थोपा जाता रहेगा और कांग्रेसी सिर्फ उनके आगे पीछे घूमते ही नजर आएंगे

फैसला आपका ये सीट सदा संगठन की रखनी है तो एक होकर रण में रहो ताकि दुबारा संगठन का ही व्यक्ति चेहरा बने ना की बेगाना
जय जय

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