बीकानेर,महाराजा गंगासिंह सतत् विकास शोधपीठ एवं युनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में ग्रामीण विकास में उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर स्थित संत मीराबाई सभागार में किया गया। इसका उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों को उन्नत भारत अभियान एवं सतत् विकास लक्ष्यों का पंचायती राज के माध्यम से क्रियान्वयन कैसे हो इस विषय पर ओरियंट करना था। इस कार्यशाला में महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त महाविद्यालयों के प्राचार्यों/प्रतिनिधियों ने भाग लिया। महाराजा गंगासिंह सतत् विकास शोधपीठ के प्रभारी प्रोफेसर राजाराम चोयल ने अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि हमारा विश्वविद्यालय गोद लिए गांव के विकास के माध्यम से सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में अपनी भूमिका सुनिश्चित करता आया है। युनिसेफ के शफकत हुसेन ने कार्यक्रम का परिचय एवं रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दिक्षीत ने बताया कि भारत का विकास उच्च शिक्षण संस्थानों के सहयोग के बिना संभव नहीं ओर देश के युवाओं को इस प्रक्रिया में जोड़ने से विकास की गति दुगुनी हो जाएगी। उन्होनें उच्च शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों से आहवान किया कि वे अपने आसपास के गांवों के विकास में योगदान के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें एवं प्रण ले कि भागीदारी की शुरूआत स्वयं से करें। कार्यक्रम में बीज वक्ता के रूप में बोलते हुए युनिसेफ भारत की सामाजिक निति एवं समाज सुरक्षा प्रमुख हयुन ही बॉन ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थान भारत के ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं एवं उन्होने प्रतिभागियों से आहवान किया कि आप विषम परिस्थितियों एवं मरूस्थलीय क्षेत्र के परिवेश से परिचित हैं। यहां की समस्याओं से परिचित होने के कारण यहां के उच्च शिक्षण संस्थान, क्षेत्र की आवश्यकता अनुसार विकास की नितियां बनाने में सरकार का सहयोग कर क्षेत्र के विकास की प्रक्रिया को गति दे सकते हैं। कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में पधारी महापौर श्रीमति सुशिला राजपुरोहित ने बीकानेर के ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान संभव है इसलिए उच्च शिक्षण संस्थानों को आगे आकर ग्रामीण विकास में सहयोग करना चाहिए। प्रथम तकनिकी सत्र में पेनेलिस्ट के रूप में बोलते हुए युनिसेफ के सामाजिक निति विशेषज्ञ श्री सोमेन बागची ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों से जुडे हुए शिक्षक स्थानीय परिवेश से परिचित होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों की स्थानीय समस्याओं के बेहतर समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं एवं उनमें स्थानीय विकास को गति देने का कौशल है। युनिसेफ दिल्ली कार्यालय से ऑनलाईन माध्यम से जुड़े युनिसेफ प्रतिनिधि श्री आयुष ने “युवा योजना के बारे में बताते हुए कहा कि इसका उदेश्य युवाओं को रोजगार के विभिन्न अवसरों को एवं विभिन्न क्षेत्रों में वर्तमान समय में उपल्लब्ध अवसरों के बारे में अवगत कराना है। द्वितीय तकनिकी सत्र में
आईआईटी जोधपुर से डॉ.विवेक विजय ने प्रतिभागियों को उन्नत भारत अभियान के बारे में जानकारी दी। इसी सत्र में युनिसेफ राजस्थान के विक्रम सिंह राघव ने पंचायती राज संस्थानों के माध्यम से सतत विकास के लक्ष्यों के स्थानीय करण के बारे में विस्तार से चर्चा की। इसी सत्र में खुला मंच के माध्यम से विभिन्न प्रतिभागियों से कार्यशाला के विषय में सुझाव आंमत्रित किए गए एवं कार्यशाला के विषय के विभिन्न आयामों पर खुली चर्चा की गई। कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर राजाराम चोयल ने आंगन्तुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संतोष कंवर शेखावत ने किया।