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बीकानेर,कृषि विज्ञान केंद्र, लूनकरनसर पर आज राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम लिमिटेड, जयपुर द्वारा प्रायोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण एवम जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे लूनकरनसर व पुगल तहसील के 107 किसानों ने भाग लिया । कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ सुभाष चन्द्र निदेशक प्रसार शिक्षा निदेशालय स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर थे ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ विजेंद्र कोहली निदेशक क्षेत्रीय चारा केंद्र सूरतगढ़ व श्री अशोक डूडी कनिष्क अभियंता जोधपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेड लुनकरणसर विशिष्ट अतिथि थे । केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ मदन लाल रेगर ने कार्यक्रम के आरंभ में सभी अतिथियों व किसानों का स्वागत करते हुए उर्जा सरक्षण का महत्व बताते हुए कहा की जिस गति से देश की अर्थवयवस्था बढ़ रही है उसी प्रकार से उर्जा की मांग भी बढती जा रही है इस सतिथि में उर्जा सरक्षण जरुरी हो जाता है।  कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ सुभाष चन्द्र ने किसानों को ईधन और जल संसाधन उपयोग दक्षता में सुधार करने से खेती में अधिक लाभ कमाया जा सकता है और भारत सरकार की मंशा के अनुरूप किसानों की आय में वृद्धि हो सके। उन्होंने कृषि में उर्जा और पानी की बचत की आवश्कता के बारे में किसानों को समझाया और किसानों को उपलब्ध उर्जा सत्रोत के उपयोग के महत्व के बारे में बताया तथा साथ ही डॉ सुभाष चन्द्र ने अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 के बारे में बात करते हुए बताया की बाजरा में उच्च प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, लौह तत्त्व जैसे खनिजों के कारण बाजरा कम खर्चीला होता है और पौष्टिक रूप से गेहूँ एवं चावल से बेहतर होता है। मोटा आनाज बाजरा पोषण सुरक्षा प्रदान कर सकता है और विशेष रूप से बच्चों एवं महिलाओं में पोषण की कमी के खिलाफ एक ढाल के रूप में कार्य कर सकता है। डॉ विजेंद्र कोहली ने पशुयों के लिए हरे चारे का महत्व बताते हुए बताया की हरे चारे में विभिन्न पोषक तत्व जैसे, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन एवं खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाये जाते है। पशुओं को हरा चारा खिलाने से पशुओं के रक्त संचार में वृद्धि हो जाती है। हरा चारा खिलाने से दूध देने वाले पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ जाती है व पशुओं की त्वचा मुलायम एवं चिकनी हो जाती है। इस अवसर पर क्षेत्रीय चारा केंद्र सूरतगढ़ की तरफ से बाजरा की चारे की किस्म FBC-16 का प्रदर्शन किया गया। श्री अशोक डूडी ने उर्जा दक्षता एवम उर्जा सरक्षण के बारे में बताया की बिजली की बचत ही उसका उत्पादन है उन्होंने बताया की देनिक रूप से घरेलु, कृषि व व्यावसायिक कार्यो के लिए उर्जा की आवश्कता होती है जिसकी पूर्ति बिजली, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकर्तिक गैस, लकड़ी, सूर्या ताप आदि से करते है व उर्जा का उपयोग आवश्कता अनुसार की करे। डॉ नवल किशोर ने बताया की ऊर्जा संरक्षण का अर्थ है कि ऊर्जा का अनावश्यक उपयोग न करना और कम से कम ऊर्जा का प्रयोग कर कार्य करना जैसे घर या ऑफिस में अनावश्यक लाइट, पंखा का उपयोग न करना, कमरे से बाहर जाते हुए सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद करना आदि शामिल है। केंद्र के मृदा वैज्ञानिक भगवत सिंह खेरावत ने फार्म अवशेषों के माध्यम से उर्जा उत्पादन के बारे में जानकारी दी।

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