बीकानेर,शहर के सौन्दर्यकरण को लेकर अनेक दावे प्रशासन की ओर से किये जाते रहे है। एसी कमरों में बैठकर अधिकारियों के साथ मंथन भी होता है। लेकिन वे सब बातें है बातों का क्या वाले गाने की तर्ज पर बनकर रह जाता है। धरातल पर काम नहीं होता। चाहे बात जूनागढ़ की खाई में बारिश के पानी के जाने की हो या पुरानी गिन्नाणी में जल भराव की। यह समस्याएं केवल यहीं की ऐसा नहीं सुजानदेसर व चोपड़ा बाड़ी के भी यही हालात है। अब तो जयपुर रोड स्थित सुभाष पेट्रोल पंप के पीछे के इलाके भी इस श्रेणी में आने लगे है। इतना ही नहीं शहर के कई जगहों पर बारिश के जलभराव से परेशानी खड़ी हो गई है। इन जगहों को चिन्हित कर इन पर प्रशासन व सरकार को ठोस काम नहीं कर रही है। जिसके चलते प्रत्येक बरसाती मौसम में यहां रहने वालों को गंदगी व कीचड़ से दो दो हाथ करने पड़ते है। शनिवार रात हुई बरसात ने एक बार फिर निगम,प्रशासन व न्यास की पोल खोल दी है। शहर के अलग अलग इलाकों की ये फ़ोटो है
निगम या नगर विकास न्यास की ओर से विकसित की जा रही कॉलोनियों या संबंधित क्षेत्र के मोहल्लों में जमीन विक्रय या प्लाट बेचने पर मूलभूत सुविधाओं के दावे किये जाते है और कई बार टेण्डर लगाकर ऐसा दर्शाया भी जाता है कि ऐसे क्षेत्रों में विकास किया जाएगा। लेकिन जब किसी समस्या के समाधान की बात आती है तो अधिकारी उस क्षेत्र को अपने क्षेत्राधिकार में न होने का कहकर पल्ला झाड़ लेते है। हालात यह है कि अब ऐसी कॉलोनियों व इलाकों में रहने वाले निवासी जमीन या प्लाट खरीद कर अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है। जिसके चलते लोगों को दिक्कते दर दिक्कते उठानी पड़ती है। जिम्मेदारों को इसकी शिकायत भी की जाती है। फिर भी समस्या भोलाराम के जीव की तरह फाइलों से बाहर ही नहीं निकलती और जब विकट के हालात ज्यादा होते है तो प्रशासन जागता है।
सुजानदेसर स्थित खुद खुदा कॉलोनी में शनिवार रात हुई बारिश के बाद तीन जगह पाल टूटने से लोगों के घरों में पानी भर गया है। यहां लंबे समय से क्षेत्रवासी अपने पार्षद राजेश कच्छावा के जरिये निगम को शिकायत कर रहे है किन्तु सुनवाई के अभाव में अब ऐसी स्थिति पैदा हो गई। जिसके बाद पार्षद राजेश कच्छावा ने राहत कार्य शुरू करवाया। किन्तु क्षेत्र में इतना जलभराव हो गया है कि लोगों को बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। उधर जयपुर रोड स्थित सुभाष पेट्रोल पंप के पीछे तिलकनगर की गलियों के भी हालात बदतर है। यहां न तो सड़कों का डामरीकरण हो रखा है और न जल निकासी के लिये कोई पर्याप्त व्यवस्था है। इनके अभाव में बरसाती पानी जमा होने पर कच्ची सड़कों पर पानी भर जाता है और राहगीरों का निकलना दुभर हो जाता है। हालात यह है कि यहां के सजग नागरिकों ने जब संपर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई तो संबंधित विभाग के क ार्मिक ने सरकार को गुमराह करते हुए यहां गली में पर्याप्त रास्ता होने का नोटिफिकेशन कर शिकायत को ही खत्म करवा दिया। जबकि शिकायतकर्ता ने गलियों में पानी जमा होने की शिकायत की थी। यहीं नहीं यहां के नागरिक ने हजरत रहीम ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को टिवट के जरिये भी गलियों की बदतर हालात की जानकारी दी। किन्तु अभी तक कोई सुनवाई नहीं की गई।
जब बरसाती मौसम शुरू होता है तो सबसे ज्यादा आफत पुरानी गिन्नाणी के वांशिदों के होती है। तेज बारिश और घंटों इन्द्रदेव के मेहरबान होने पर तो स्थिति ओर विकट हो जाती है। कई दिनों तक पानी की निकासी नहीं होने से न केवल व्यवसाय प्रभावित होता है बल्कि यहां रहने वालों का जीना मुहाल हो जाता है। गंदगी,कीचड़ और बदबू से यहां के निवासियों की जिन्दगी दुभर हो गई है। विगत दिनों क्षेत्रिय पार्षद ने निगम आयुक्त को आगाह करते हुए अपनी बात रखी तो उनके खिलाफ राजकार्य बाधा का मामला दर्ज किया गया। जबकि पार्षद महेन्द्र सिंह ने पूर्व में ऐसे हालात होने की ही बात आयुक्त के सामने की थी। उस समय उनकी बात को तवज्जो नहीं दी गई। अब पुरानी गिन्नाणी में बदतर स्थिति है।
प्रशासन की लापरवाही की बानगी इसी से लगाई जा सकती है कि बीकानेर के ऐतिहासिक किले पर भी अब खतरा मंडराने लगा है। शहर के विकास और पर्यटन की दृष्टि से सुन्दर बनाने का दावा करने वालों के लिये जूनागढ़ की खाई और उसमें भरता पानी गलफास बनता जा रहा है। जिसका ठोस इंतजाम नहीं होने के कारण संकट में पड़ रहा है।