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बीकानेर.वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को श्रीहरि विष्णु के पांचवे अवतार भगवान नृसिंह की पूजा की जाती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था. गोधूली बेला के समय खम्भा फाड़कर प्रकट हुए नृसिंह भगवान श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं.

ये है कथा : सनातन हिंदू धर्म के अनुसार दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने कठोर तपस्या करके भगवान ब्रह्मा जी से एक वरदान प्राप्त कर लिया था. इसके बाद उसे यह लगने लगा था कि अब उसकी मौत नहीं होगी और वह दुनिया में सबसे शक्तिशाली है. वो अपनी प्रजा में भी वह खुद को भगवान कहलाना पसंद करता था. हिरण्यकश्यप का पुत्र पह्लाद हमेशा भगवान विष्णु की पूजा किया करता था. इस बात से हिरण्यकश्यप उससे नाराज रहता था. उसने कई बार प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया, लेकिन हर बार वो बच जाया करता.

मिला था वरदान : हिरण्यकश्यप को ब्रह्मा जी से मिले वरदान के मुताबिक उसकी मृत्यु न दिन में न रात में, न घर के अंदर न घर के बाहर, न आकाश में न पृथ्वी पर, न अस्त्र न शस्त्र से, न मानव और न ही पशु के हाथों होगी. इस वरदान के बाद उसे लगने लगा था कि अब उसकी मृत्यु नहीं हो सकती. उसने अपनी प्रजा में खुद को भगवान के रूप में पूजने का आदेश दे दिया. वहीं, जब हिरण्यकश्यप का पुत्र भगवान विष्णु की आराधना करता था तो उसे बहुत गुस्सा आता था. इसके चलते उसने कई बार प्रह्लाद को मारने की भी कोशिश की.

हिरण्यकश्यप की एक बहन थी, जिसे अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था. एक बार उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने को कहा ताकि प्रह्लाद की मौत हो जाए, लेकिन अग्नि में जलकर होलिका की मौत हो गई और प्रह्लाद बच गया. वैशाख शुक्ल चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी के मिले वरदान के इतर सिंह मुख और आधे नर के रूप में नृसिंह का रूप लेकर खम्भे से प्रकट हुए और गोधूलि बेला में उन्होंने हिरण्यकश्यप की राज महल की दहलीज पर अपने नाखूनों से उसको जांघ पर लिटा कर वध कर दिया, जिससे ब्रह्मा जी का वरदान भी कायम रहा और हिरण्यकश्यप की मौत भी हो गई.

नृसिंह मंदिरों में भरता है मेला : आज चतुर्दशी के दिन भगवान नृसिंह को पंचामृत से अभिषेक करवाया जाता है. इस दिन शाम को मंदिरों में मेला भरता है और भगवान नृसिंह अवतार होता है. नृसिंह भगवान का स्मरण करने से महान संकट की निवृत्ति होती है. जब कोई भयानक आपत्ति से घिरा हो या बड़े अनिष्ट की आशंका हो तो भगवान नृसिंह के मंत्र का जप करना चाहिए. इस मंत्र के जप और उच्चारण से संकट से छुटकारा मिलता है.

ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्

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