बीकानेर,आज विश्व पर्यावरण दिवस के मौक़े पर मदर्स एल एस कर्मा फ़ाउंडेशन की अध्यक्ष श्रीमती सुमन चौधरी द्वारा सभी को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए बताया कि फ़ाउंडेशन की संरक्षक श्रीमती लक्ष्मी देवी मंडा के मार्गदर्शन में हमारे द्वारा पिछले 2 महीनों से कैंप लगाकर महिलाओं को पुराने कपड़ों व अख़बार को use(recycling of garments and recycling of paper)लेकर कपड़े के बैग व अख़बार के लिफ़ाफ़े बनाने की ट्रेनिंग दी गई जिस पर हमने लगभग 10000 कपड़े के बैग तथा 25,000 अख़बार के लिफ़ाफ़े तैयार करवाए । आज विश्व पर्यावरण दिवस पर हम लोगों द्वारा बीकानेर , नागौर , सीकर , हनुमानगढ़ चारों ज़िलों में 10 हज़ार कपड़े के बैग व 25 हज़ार अख़बार के लिफ़ाफ़ों का वितरण करवाया गया ।सभी जगह दुकानों ,ठेलों व सब्ज़ी मंडी में इनका वितरण किया गया है। इसी अवसर पर फ़ाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ सुमन चौधरी के आग्रह पर लोकल फ़ूड पर फ़ोकस करते हुए लोगों को छाछ राबड़ी(जो कि राजस्थान का सबसे पुराना प्रचलित पेय फ़ूड है, पुराने ज़माने में अधिकतर लोगों का मुख्य भोजन गर्मी के दिनों में डूआ राबड़ी/खाट्टे की राबड़ी जो मोठ व बाज़री के आटे से बनायी जाती है,ये करीब अप्रैल से जून तीन महीने बनायी जाती है यह राबड़ी लू के प्रकोप से बचाती है व बाक़ी मौसम में छाछ से बनी राबड़ी जो केवल बाजरे की आटे से बनायी जाती है) का रसपान करवाया गया है ।राबड़ी में छाछ मिला देने से यह विटामिन B-12 ,D एवं कैल्शियम, आयरन ,फॉस्फोरस पोटैशियम , ज़िंक आदि मिनरल सहित बहुत ही पोषक व हेल्दी ड्रिंक बन जाती है।यह कार्यक्रम पब्लिक पार्क के वरिष्ठ नागरिक भ्रमण पथ पर आयोजित किया गया । इस अवसर पर हमने लोगों को छाछ राबड़ी का रसास्वादन करवाया व साथ में कपड़े से बने बैग भी वहाँ पर वितरित किए गए। इस अवसर पर फ़ाउंडेशन अध्यक्ष डॉ सुमन चौधरी, प्रदेश संरक्षक श्रीमती सींवरी चौधरी,प्रदेश संयोजक डॉ मीनाक्षी चौधरी,प्रदेश महासचिव नीलम बेनीवाल,प्रदेश सचिव डॉ सुनीता मंडा,प्रदेश तकनीकी प्रकोष्ठ प्रभारी डॉक्टर प्रतिभा चौधरी , प्रदेश हैंडीक्राफ्ट प्रभारी श्रीमती जया जाखड़,बीकानेर जिला अध्यक्ष दीपिका सारण, गरिमा दत्ता,भाग्यश्री फ़लोदिया,डॉ इंदु मिल, डॉ सुरभि चौधरी , सरिता चौधरी एवं अन्य टीम मेंबर्स ने उपस्थित रह कर कार्यक्रम को सफल बनाया ।सभी नागरिकों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने एवं इसे बचाने का आग्रह करते हुए उनको बताया कि recycling of clothes and papers से हम पेड़ों को काटने से बचा सकते हैं तथा पर्यावरण प्रदूषण को कम कर सकते हैं । पुराने कपड़ों के थैलो व अख़बार के लिफ़ाफ़ों को काम में लेने पर प्लास्टिक उत्पादों पर निर्भरता कम कर पर्यावरण सरंक्षण किया जा सकता है ,क्योंकि प्लास्टिक नष्ट होने वाला पदार्थ नहीं है,यह सालों साल प्रकृति में ऐसे ही पड़ा रहता है एवं पर्यावरण को प्रदूषित करता रहता है।
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