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बीकानेर, गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ढढ्ढा कोटड़ी में तथा रांगड़ी चौक की तपागच्छीय पौषधशाला में खरतरगच्छ संघ की वरिष्ठ साध्वी श्री दीपमाला व शंख निधि ने जैन धर्मग्रंथ कल्पसूत्र के प्राकृत भाषा के मूल पाठ बारासा सूत्र का वाचन बुधवार सुबह सात बजे करेंगे। अनेक श्रावक-श्राविकाएं सुबह पौषध की साधना करेंगे। दोंनों गच्छों में बुधवार को संवत्सरि महापर्व मनाया जाएगा। गणिवर्य व साध्वीवृंद के नेतृत्व में चैत्य परिपाटी में विभिन्न तपस्याएं करने वाले श्रावक-श्राविकाएं विभिन्न जिनालयों में दर्शन-वंदन करेंगे।
सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट, अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई की ओर से सकल श्रीसंघ के सहयोग से ढढ्ढा कोटड़ी में आयोजित चातुर्मास स्थल में मंगलवार को चौविहार 61 की तपस्या पूर्ण करने वाले कन्हैयालाल भुगड़ी तथा आठ दिन की तपस्या करने वाले बालक रक्षित पारख, दर्श व दिव्यम् दफतरी तथा काव्य कोचर का अभिनंदन वरिष्ठ श्रावक शांति लाल बैद, पुखराज पुगलिया तथा वरिष्ठ श्रावकों ने किया। अक्षय निधि सहित विभिन्न तपस्याओं की अनुमोदना की गई। खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई के अध्यक्ष अनिल सुराणा,सचिव विक्रम भुगड़ी ने बताया कि रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में श्राविकाओं का तथा श्रावकों का पौषध, प्रतिक्रमण सुबह पांच बजे महावीर भवन में होगा। कल्पसूत्र के मूल पाठ समापन पर ढढ्ढा कोटड़ी से चैत्य परिपाटी के तहत जिनालयों में शोभायात्रा के साथ दर्शन वंदन किया जाएगा। शोभायात्रा में सिद्धि तप, अक्षय निधि तप, समोशरण तप, विजय कषाय व मोक्ष तप के तपस्वी शामिल होंगे। बारासा सूत्र रूप् में वांचन करने के लिए गणिवर्य म.सा.को बाड़मेर के सुश्रावक कपिल कुमार, भूरचंद व सूरजमल कल्पसूत्र प्रदान करेंगे। पूर्व में मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधि ज्ञान, मनय पर्याय ज्ञान, व केवल्य ज्ञान की पूजा की जाएगी। बुधवार को ही अक्षय निधि तप का समापन होगा। अक्षय निधि कलश को सुश्राविका संगीता कोठारी पत्नी ओम प्रकाश कोठारी ने सिर पर रखकर जिनालय ले जाने का लाभ लिया है।
प्रवचन-गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने मंगलवार को ढढ्ढा कोटड़ी में प्रवचन में जैन धर्म की स्थापना, उसके विभिन्न गच्छ व पंथ, उनकी विशेषताओं, पाट परम्पराओं, साधु समाचारी आदि का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि जैन धर्म के सभी समुदाय के पांच महाव्रतधारी मुनि व साध्वीवृद का हमें सम्मान करना चाहिए। कल्पसूत्र के संदेशों को अपने जीवन में उतारें। काम,क्रोध, लोभ व मोह आदि कषायों का त्याग करते हुए अहिंसा, क्षमा,दया, करुणा,दान, शील व तप को जीवन का अभिन्न अंग बनाएं। संवत्सरि का एक दिन बारासा सूत्र को सुनने, पौषध व प्रतिक्रमण तथा जिनालयों में दर्शन वंदन के लिए समर्पित करें। बारासा सूत्र में तीर्थंकरों के जीवन संदेशों, बारह व्रतों, बारह चिंतन का वर्णन है। बारह व्रतों में पांच अणुव्रत, 3 गुणव्रत, 4 शिक्षाव्रत शामिल है, जिसका संदेश अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह जैसे सिद्धान्तों की पालना करना है। बारह चिंतन में कहा गया है कि भवनाशिनी बारह भावना, तीन लोक में श्रेष्ठ है, वीतराग विज्ञान। ध्याऊं बारह भावना, निज का अब हो भान।
तपागच्छीय पौषधशाला-रांगड़ी चौक की तपागच्छीय पौषधशाला में जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की साध्वीश्री दीपमाला व शंखनिधि पर्युषण पर्व में अष्टानिका प्रवचन संपन्न हुआ। साध्वीवृंद के सान्निध्य में 8 दिन की तपस्या करने वाले काव्य कोचर व ज्योत्सना बैद का अभिनंदन वरिष्ठ श्रावक विजय कोचर, सुरेन्द्र बद्धाणी व पदम प्रभु ट्रस्ट के अजय बैद आदि ने किया। बैद ने बताया कि बुधवार को सुबह सात बजे उपासरे में बारासा सूत्र का वांचन होगा तथा उसके बाद चैत्य परिपाटी के तहत बैदों के महावीरजी मंदिर में दर्शन वंदन किया जाएगा। श्रावकों का पौषध, प्रतिक्रमण सुबह पांच बजे तपागच्छीय उपासरे में तथा श्राविकाओं का पन्नीबाइैर् के तपागच्छीय उपासरे में होगा। साध्वीवृंद ने भगवान ऋषभदेव, पार्श्वनाथ व नेमीनाथ के जीवन आदर्शों का, जैन धर्म की स्थिरावली आदि का वर्णन किया।
पार्श्वचन्द्र गच्छ-रामपुरिया उपासरा-
जैन श्वेताम्बर पार्श्वचन्द्र गच्छ की साध्वीश्री पदम् प्रभा व सुव्रताश्रीजी के सान्निध्य में मंगलवार को आसानियों के चौक के भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा पर विशेष अंगी की गई। साध्वीश्री सुव्रताश्रीजी ने भगवान महावीर के बाल्य काल से केवल्य ज्ञान तक का वर्णन कल्पसूत्र के अनुसार किया। जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक पार्श्वचन्द्र गच्छ के अध्यक्ष रवीन्द्र रामपुरिया व मंत्री प्रताप रामपुरिया ने बताया किया गच्छ का संवत्सरि महापर्व पर बारासा सूत्र का वांचन गुरुवार को होगा।

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