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बीकानेर-फ्रेंड्स एकता संस्थान राजस्थान,बीकानेर की तरफ से शहीदे आज़म अशफ़ाक़ उल्लाह खां के 94 वें शहादत दिवस के मौके पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन सोमवार को नरेंद्रसिंह ऑडिटोरिम,नागरी भण्डार में कवि सम्मेलन-मुशायरा का आयोजन रखा गया जिसमें हिन्दी,उर्दू और राजस्थानी के रचनाकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से शहीदों को खिराजे अक़ीदत पेश किया।

अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ शाइर मौलाना अब्दुल वाहिद अशरफी ने अपनी नज़्म में शहीदों को यूं याद किया-
याद है अशफ़ाक़,बिस्मिल और भगत सिंह याद है
चन्द्रशेखर का लक़ब ही दोस्तो आज़ाद है
जिनके खू स गुलशने-हिन्दोस्तां आबाद है
हर बड़ा छोटा उन्हीं क़ुर्बानियों से शाद है
चूम के फांसी के फंदे को हुए वो शादकाम
खू कहर क़तरे से अपने कर गए हुज्जत तमाम
मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रँगा ने शहीदों को याद करना नेक काम बताया।उन्होंने शहीदों को याद करते हुए राजस्थानी में रचना सुनाई-
धन्य हो थे धन्य है थारी मां सा
करूँ थानै निवण अशफ़ाक़ बिस्मिल संग
विशिष्ठ अतिथि संजय आचार्य वरुण ने अनेक शे’र और गीत सुना कर दाद हासिल की-
कोई तेरा कभी नहीं होगा
तू किसी का कभी हुआ है क्या
हादसों से बचा हुआ है तू
साथ माँ की तेरे दुआ है क्या
वरिष्ठ शाइर जाकिर अदीब ने उम्दा ग़ज़ल पेश की-
लगे है ऐसा कि यकरँग हो गए शायद
तेरे ख्याल की खुशबू, मेरी ज़ुबाँ का मिजाज
संस्थान के अध्यक्ष वली मुहम्मद गौरी रिज़्वी वली ने ग़ज़ल सुना कर दाद लूटी-
एक चेहरा न जाने कहाँ खो गया
जो नज़र आया था रौशनी की तरह
डॉ ज़िया उल हसन क़ादरी ने साहिब रदीफ़ से ग़ज़ल सुनाई-
जोश जो था किधर गया साहिब
क्यूं ये दरिया उतर गया साहिब
मुफ़्ती अशफ़ाक़ उल्लाह खां गौरी उफ़क़ ने बेहतरीन गज़ल सुना कर वाह वाही लूटी-
हमने गिरगिट को भी देखा है बदलते हुए रंग
रंग वो आपने बदला है ख़ुदा ख़ैर करे
कार्यक्रम में असद अली असद,सागर सिद्दीकी,अजित राज,मधुरिमा सिंह,कृष्णा वर्मा,इंजीनियर गिरिराज पारीक,गुलफाम हुसैन आही, अंशुमन,शमीम अहमद,लक्ष्मी नारायण आचार्य,शारदा भारद्वाज,जुगल किशोर पुरोहित, मुईनुद्दीन मोईन, बाबूलाल छंगाणी,कैलाश टाक, विप्लव व्यास,हनुवंत गौड़,डॉ मुहम्मद फ़ारूक़ चौहान,इशाक गौरी,मास्टर अनीस,साहिबा रज़्जाकी,वहीद अहमद,आदिम,एड शमशाद अली,मुहम्मद यासीन,धर्मेंद्र राठौड़ सहित अनेक लोगों ने कलाम सुना कर समां बांधा।
कार्यक्रम का संचालन डॉ ज़िया उल हसन क़ादरी ने किया।

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