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बीकानेर, इस स्वतंत्रता दिवस पर देश आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। इस खास मौके पर टाटा टी देश की कुल्हड़ परंपरा के प्रचार-प्रसार के लिए एक नई पहल करने जा रही है। कंपनी का मानना है कि कुल्हड़ के प्रसार से इसे बनाने वाले कुम्हारों को ना केवल आर्थिक मदद मिलेगी बल्कि हैंडीक्राफ्ट उद्योग प्रोत्साहित होगा। अलग-अलग राज्यों के लिए उनकी स्थानीय कला एवं परंपरा का कुल्हड़ पर चित्रण किया गया है ताकि उस राज्य के लोग आसानी से कुल्हड़ से कनेक्ट हो सकें। एक महिला टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के पैकेज्ड बेवरेजेज (भारत और दक्षिण एशिया) के प्रेसिडेंट पुनीत दास ने बताया कि भारतीय कारीगरों के काम को बढ़ावा देने वाला स्टार्टअप रेयर प्लैनेट के साथ मिलकर यह पहल की गई है। उन्होंने बताया कि इन विशेष कुल्हड़ पर हर क्षेत्र के विशिष्ट कला रूपों के चित्र हाथों से रंगे गए हैं। जैसे बिहार की मधुबनी लोककला, महाराष्ट्र की वारली चित्रकला, पंजाब के फुलकारी पैटर्न, उड़ीसा के पटचित्र तो उत्तर प्रदेश की सांझी कला। दिल्ली की शान में विशेष कुल्हड़ बनाए गए हैं। हर कलाकार ने अपने हाथों से बनाए हुए चित्रों से इन कुल्हड़ों को सजाया है। देश के कुल्हड़ कलेक्शन में 26 प्रकार के अलग-अलग कुल्हड़ शामिल हैं। हर कुल्हड़ भारत के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है। इस पहल के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक डिजिटल फिल्म भी जारी की गई है। कुल्हड़ों की बिक्री से मिलने वाला पैसा उन कलाकार समुदायों के समर्थन में मददगार साबित होगा जो वर्तमान स्थिति की वजह से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। कुल्हड़ों की बिक्री से मिलने वाली राशि के अलावा भी टाटा टी की तरफ से कुल्हड़ बनाने वाले कारीगरों की मदद की जा रही है। कुल्हड़ की बिक्री पूरी तरह से ऑनलाइन होगी।

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