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बीकानेर,संगीत कला केन्द्र संस्थान, गंगाशहर के तत्वावधान में संस्था सभागार में नगर के लोकप्रिय भक्ति संगीत साधक और गजल गायक स्व रफीक सागर की प्रथम पुण्यतिथि पर “स्वरांजलि” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कलाकारों ने स्व रफीक सागर की संगीत रचनाओं को प्रस्तुत कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता वरिष्ठ लेखक अशफ़ाक कादरी ने कहा कि स्व रफ़ीक सागर बहुआयामी संगीतज्ञ थे जिन्होंने संगीत साधना से मानवता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि स्व सागर ने बीकानेर से कोलकाता, मुंबई तक गजल गायन, संगीत निर्देशन के क्षेत्र में प्रतिष्ठित स्थान बनाया। उन्होंने कहा कि स्व सागर बीकानेर के भक्ति संगीत से जुड़े रहे। कार्यक्रम में संगीत शिक्षक अहमद बशीर सिसोदिया ने कहा कि स्व सागर आत्मीयता से ओतप्रोत कलाकार थे। कवि अब्दुल शकूर सिसोदिया ने कहा कि स्व सागर संगीत के महान संत थे। संस्था अध्यक्ष डालचंद सेवग ने कहा कि स्व सागर जीवन भर संगीत सीखने की प्रेरणा देते रहे ।
कार्यक्रम में बॉलीवुड सिंगर राजा हसन ने अपने पिता रफीक सागर के संस्मरण सुनाते हुए मार्मिक स्वरांजलि अर्पित की । उन्होंने कहा कि वे प्रेरणादायी कलाकार थे । राजा हसन ने संगीत रचना ” तुम सामने बैठो और मैं गीत गाउ” सुनाकर भाव विभोर कर दिया। संस्था निदेशक पं. पुखराज शर्मा ने स्व सागर की ग़ज़ल “मेरे लिए जो सोच है वैसा नहीं माना ,अच्छा नहीं माना बुरा भी नहीं माना” पेश कर दाद हासिल की । कार्यक्रम में आरव देरदेकर ने “मौसम आएंगे जाएंगे हम तुम्को भूल ना पाएंगे” प्रस्तुत कर सागर का स्मरण किया। कार्यक्रम में सपन कुमार भक्ता ने भजन “जिसके सर पर हाथ हो तेरा वो कैसे दुख पाए” सुनाया। कार्यक्रम में वैभव पारीक ने “मन रे तू काहे धीर धरे” सुनाकर भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम में चंद्रशेखर सांवरिया ने दाग़ देहलवी की गजल सुनाई। कार्यक्रम में तबला संगत उस्ताद गुलाम हुसैन, पैड संगत सादत हुसैन, आर्गन संगत दानिश ने की। कार्यक्रम में कमल श्रीमाली, ओमजी,हितेंद्र व्यास,आनंद परिहार,समर्थ देरदेकर,कैलाश भार्गव,शुभम अग्रवाल,सुखदेव सुथार, मोहित मांडन सहित बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी शामिल थे ।

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