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बीकानेर का घेवर देशभर मे प्रसिद्ध है।मकरसंक्रांति और यहां के घेवर.20 दिनों तक खराब नही होते। मकर संक्रांति पर्व को लेकर घर घर तैयारियां शुरू हो गई। बाजारों में मिठाई की दुकानें में घेवर सजने के साथ बिक्री शुरू हो गई है। इससे बाजार घेवर की सुगंध से महकने लगे हैं। हलवाइयों की दुकानों पर घेवर के थाल के थाल लगे नजर आ रहे हैं। जिन हलवाइयों का घेवर प्रसिद्ध हैं उनके यहां शाम तक घेवर बचता ही नहीं है। साथ के साथ घेवर बनाते ही बिक जाता है। इसी के साथ मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बनी खाद्य वस्तुओं के दान पुण्य का विशेष महत्व होने पर बाजारों में खरीददारी बढ़ गई है। शहर में मकर संक्राति को लेकर बच्चों और बड़ों में उत्साह नजर आने लगा है। बाजार में त्योहार को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। खान पान की दुकानें सजने लगी हैं। रंगबिरंगे घेवर आकर्षित कर रहे हैं। जैसे-जैसे सर्दी का जोर बढ़ता है, गरमा-गरम घेवरों की मांग बाजार को गुलजार कर देती है। रबड़ी के साथ लोग घेवर के आंनद लेते है। दुकानदारों ने कहना है कि जैसे जैसे मकरसंक्रांति नजदीक आई है। और सर्दी का जोर बढ़ेगा, बिक्री तेज हुई है।

घेवर इमरती और फीणी की बिक्री में आई तेजी
शहर के छोटे बाजार स्थित दुकान पर घेवर,फीणी और इमरती की बढ़ती मांग को लेकर विशेष तैयारियां की गई हैं। मकर संक्रांति को लेकर लोगों में हर्ष है, लेकिन इससे महिनों आर्डर बुक किए जा रहे हैं। हालांकि अभी सर्दी और कोहरे के पूर्व मकर संक्रांति करीब आने पर धीरे-धीरे बाजार में तेजी आएगी। वैसे लोगों ने अभी से घरों में भी तैयारियां शुरू कर दी है।

घेवर के यह हैं रेट

देशी घी के घेवर 350 रुपए और डालडा के 200 रुपए प्रति किलो का भाव है। वहीं प्रति नग के हिसाब से देशी घी का 35 रुपए का भाव है। वहीं मलाई घेवर 70 रुपए प्रति नग के हिसाब से बेचा जा रहा है। उन्होंने बताया कि फीका घेवर 30 प्रति नग भाव है। इसी फीणी देशी घी की 360 रुपए और डालडा घी की 160 रुपए प्रति किलो बिक रही है। वहीं फीकी फीणी का भाव 400 रुपए प्रति किलो का भाव है।

घेवर भेजने की परंपरा

मकर संक्रांति पर बहन बेटियों के ससुराल घेवर भेजने की परंपरा है। घर परिवार की महिलाओं ने थालियों में घेवर को सजाकर बहन बेटियों के लिए भेजने शुरू कर दिया है। बाजार में कई किस्म के घेवर देखने को मिल रहे हैं।

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