
बीकानेर,वरिष्ठ साहित्यकार-शिक्षाविद् डॉ. मदन केवलिया ने कहा कि हिन्दी राष्ट्रीय एकता का प्रत्यक्ष रूप है, हिन्दी ने पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधा है। डॉ. केवलिया हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को प्रतिमान संस्थान की ओर से आयोजित ‘राष्ट्रीय एकता में हिन्दी का योगदान’ विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी हिन्दी समाचार पत्र-पत्रिकाओं का अविस्मरणीय योगदान रहा है। हिन्दी राष्ट्रभाषा बने, इसके लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने हिन्दी के योगदान को रेखांकित करते हुए अपनी कविता सुनाई- आजादी का आकाश है हिन्दी, जन-जन का विश्वास है हिन्दी, हिन्दी ही संपर्क सूत्र है, जीवन का मधुमास है हिन्दी।
राजकीय डूंगर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर डाॅ. एजाज अहमद कादरी ने कहा कि हिन्दी आज पूरे देश की सम्पर्क भाषा बन गई है। संपूर्ण विश्व में भारत और हिन्दी भाषा को उल्लेखनीय मान-सम्मान मिल रहा है। एस.डी. पी.जी. महाविद्यालय, खाजूवाला के प्राचार्य डॉ. मिर्जा हैदर बेग ने कहा कि महात्मा गांधी ने भी राष्ट्रीय एकता के सशक्तीकरण में हिन्दी भाषा के महत्त्व को स्वीकारा था। हिन्दी की पत्र-पत्रिकाएं, फिल्में, न्यूज चैनल भी राष्ट्रीय एकता में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। राजकीय कन्या महाविद्यालय, मुरलीधर व्यास नगर में सहायक आचार्य, हिन्दी डॉ. शशि बेसरवारिया ने कहा कि हिन्दी पूरे देश को जोड़े हुए है। देश के किसी भी भू-भाग में हिन्दी को बोलने वाले लोग मिल जाएंगे, वहीं विश्व के अनेक देशों में भी हिन्दी बोली-समझी जाती है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए कथाकार शरद केवलिया ने कहा कि देश की एकता, अखंडता व सांस्कृतिक अस्तित्व की रक्षा करने का कार्य हिन्दी के माध्यम से हो रहा है। सी.ए. खुशी केवलिया ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सितारा परवीन, इंदिरा केवलिया, शबनम बानो, विवेक किलानिया, मन्मथ केवलिया, आयशा अतहर, सोहेल खान, सुनिधि, आदिल मिर्जा सहित अनेक हिन्दी अनुरागी उपस्थित थे।