बीकानेर,जयपुर में योजना भवन की एक अलमारी में बीते महीने 2.31 करोड़ रुपये नगद और एक किलो सोना मिला था. इस घटना ने प्रदेश में लंबे समय से जमे सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के भ्रष्टाचार की बानगी पेश की थी.
इस घटना को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश की प्रमुख सचिव उषा शर्मा ने तीन साल या इससे अधिक समय से एक ही कुर्सी पर जमे कार्मिकों के ट्रांसफर का आदेश जारी किया है. प्रमुख सचिव के इस फैसले का सबसे अधिक असर सचिवालय पर पड़ेगा.
कर्मचारियों की चार कैटेगरी
प्रदेश के योजना भवन सहित अन्य निदेशालयों, विभागों के करीब एक लाख कर्मचारी इस दायरे में आएंगे. ट्रांसफर पॉलिसी में चार कैटेगरी बनाई गई है. पहली- 2 साल से तैनात कर्मचारी. दूसरी- तीन साल से तैनात कर्मचारी. तीसरी- डेपुटेशन पर आए कर्मचारी. चौथी- विशेष आवश्यकता बताकर पांच साल या उससे अधिक समय से तैनात कर्मचारी. प्रदेश सरकार ने यह कदम शासन-प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए उठाया है.
आदेश में कहा गया है कि राजकार्य में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि समस्त विभागों और कार्यालयों में कार्यरत अधिकारियों-कर्मचारियों की एक ही स्थान पर पदस्थापन अवधि सामान्य तौर पर तीन साल और विशेष मामलों में आवश्यकता के मुताबिक पांच साल से अधिक न हो. आदेश में कहा गया है कि समस्त अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव, शासन सचिवों से अपेक्षा की जाती है कि वे इन निर्देशों की पालना कराया जाना सुनिश्चित करेंगे.
राज्य सरकार ने क्यों जारी किया है आदेश
प्रमुख सचिव ने राज्य में सुशासन की स्थापना के लिए राजकार्य में तेजी लाने और शासन तंत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और उत्तरदायित्व तय करने के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग की यह गाइडलाइन जारी की है. लेकिन इतनी गंभीरता दिखाने के बाद भी इस आदेश में व्यवस्थावादी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए गली भी छोड़ दी गई है. विशेष परिस्थिति या आवश्यकता बताकर किसी कर्मचारी को अधिकतम पांच साल तक एक सीट पर काम कराया जा सकेगा.