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बीकानेर,यदि आपको नींद में सोते वक्त खर्राटे आते हैं तो सावधान रहने की जरूरत है। चिकित्सक से सलाह लीजिए। ये बीमारी ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपेनिया हो सकती है। कहीं आपके लिए बीमारी जानलेवा न स्पॉटलाइट बन जाए। पूरे विश्व में 70 प्रतिशत मोटे लोगों में इस बीमारी की संभावना है। इसके अलावा 10 प्रतिशत गंभीर कॉ-मॉर्बिड मरीजों को ये समस्या किसी कारणवश हो सकती है।

नींद में सांस रुकने की बीमारी को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपेनिया कहा जाता है। एपेनिया का मतलब 10 सेकंड से ज्यादा सांस रुकता है तो उसको एपेनिया कहा जाता है। इसके अलावा दूसरे टर्म में हाइपो एपेनिया भी होता है, इसमें कंपलीट नहीं, लेकिन कुछ समय के लिए सांस रुके तो उसे भी हाइपो एपेनिया कहा जाता है।

ये बीमारी मोटापे के कारण होती है। क्योंकि जैसे व्यक्ति मोटा होता है तो गर्दन पर फेट ज्यादा बढ़ती है।

गर्दन की मशल्स का टोन खत्म हो जाता है। सोते वक्त ये मशल्स सांस को बाधित करती है। इस कारण खड़खड़ खरटि की आवाज आती है। पूरी तरह हवा का अंदर-बाहर जाना देंगे कुछ देर नहीं। कुछ समय बाधित होता है। एपेनिया के दौरान बाद खर्राटे बंद होते हैं, वह एपेनिया खटि की आवाज नहीं आती है। ऐसे है। कुछ समय बाद रोगी खड़खड़ में इन मरीजों के कुछ देर खर्राटे सुनाई देंगे और कुछ देर नहीं कुछ समय बाद खर्रटे बंद होते हैं। कुछ समय बाद रोगी खड़खड़ आवाज के साथ उठ जाता है।

नींद लेंगे, क्वालिटी अच्छी नहीं रहेगी

एपेनिया के मरीज पूरी रात अच्छी मात्रा में नींद लेंगे, लेकिन इनके नींद की क्वालिटी अच्छी नहीं रहती। ये मरीज डीप् स्लीप में नहीं जाते। • मरीज की बार-बार नींद खुलती है। एक नींद की साइकिल करीब 90 मिनट से 120 मिनट की होती है

डीप स्लीप करती है बॉडी की रिपेयरिंग

हरेक व्यक्ति के गहरी नींद बेहद जरूरी होती है। क्योंकि डीप स्लीप शरीर को आराम और उसकी रिपेयरिंग भी करती है। बॉडी के फंक्शन, ब्रेन फंक्शन, हिलिंग, रिपयेरिंग व ब्रेन रेस्ट ये सभी चीजें डीप स्लीप में होती है। प्रतिदिन आउटडोर में 3 से 5 मरीजों में ये बीमारी मिलने की पूर्ण संभावना है। 50 प्रतिशत मरीजों में बीमारी मिलेगी। इसमें टेस्टिंग की सुविधा है।

बप्पी दा को भी थी यही बीमारी

ऐसी बीमारी को लेकर है। मशहूर संगीतकार बप्पी दा को यही बीमारी थी और इसी कारण उनका निधन हो गया।

डॉ. अंकित राठी, चेस्ट रोग, क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ

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