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बीकानेर,एडवोकेट एवं आरटीआई एक्टिविस्ट गोवर्धन सिंह के खिलाफ 12 साल पुराने मामले में नया खुलासा हुआ है। उसके ऑफिस से महिलाओं की अश्लील तस्वीरें, महाजन फायरिंग रेंज के डॉक्यूमेंट मिले थे, लेकिन तत्कालीन आईओ ने पूरी जांच ही नहीं की और मुकदमे में एफआर लगा दी। गोवर्धन सिंह के पुराने मुकदमों की जांच के लिए पुलिस की एक इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई गई है। इस टीम ने गोवर्धन सिंह के मामले में 12 साल पुराने चार ऐसे केस रिऑपन किए हैं, जिनमें से उसने तीन में एफआर लगवा ली थी।

यह मुकदमे सेल्स टैक्स अफसरों को ब्लैकमेल करने, गोवर्धन के ऑफिस पर छापा मारने और स्वतंत्रता सेनानी वैद्य मघाराम के परिवार से संबंधित हैं। इनमें दो मुकदमे फरवरी, 2010 में दर्ज हुए थे। पड़ताल की तो चौंकाने वाली बात सामने आई। पुलिस ने 16 फरवरी 2010 को पारीक चौक स्थित गोवर्धन सिंह के महाराजा कलेक्शन एजेंट कार्यालय पर छापा मारा था। वहां से महिलाओं के अश्लील फोटो, महाजन फायरिंग रेंज, निजी स्कूलों सहित विभिन्न मामलों से जुड़े बड़ी संख्या में दस्तावेज बरामद हुए।

पुलिस ने फर्द जब्ती में 150 से अधिक आइटम की लिस्ट तैयार की। हैरानी की बात ये है कि तत्कालीन आईओ ने किसी दस्तावेज की गहराई से जांच नहीं की। सेटेलाइट हॉस्पिटल के कनिष्ठ विशेषज्ञ की मुहर उसके ऑफिस से बरामद हुई थी, जिसका उपयोग भाई हनुमान ने हथियार लाइसेंस के लिए दस्तावेजों के सत्यापन में किया था। उसकी भी एफएसएल जांच कराना जरूरी नहीं समझा गया।

केस रिऑपन होने के बाद अब उसके दस्तावेज एफएसएल जांच के लिए भेजे गए हैं। गौरतलब है कि गोवर्धन केस की जांच छह अफसरों ने की और छापा मारने वाले दल में 10 इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर शामिल थे। शिकायतकर्ता खुद कोटगेट एसएचओ धरम पूनिया थे। महिला आरपीएस से अभद्रता के मामले में 27 अप्रैल को गिरफ्तार हुए गोवर्धन के खिलाफ बीकानेर सहित विभिन्न स्थानों पर अब तक करीब आधा दर्जन मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।

फरवरी 2010 में कोटगेट एसएचओ धरम पूनिया, नया शहर एसएचओ रामेश्वर सहारण, बीछवाल एसएचओ ईश्वरानंद, जेएनवीसी एसएचओ आमिर हुसैन, एसआई राजेन्द्र कुमार, रमेश कुमार, माधो सिंह, रमेश सर्वटा, एएसआई शिवराज सिंह की टीम ने आरोपी गोवर्धन सिंह पुत्र भरत सिंह की तलाश के लिए उसके कार्यालय महाराजा कलेक्शन सेंटर पारीक चौक पर छापा मारा था। मौके से 19 तरह की मोहरे मिली थी। जिसमें एक मुहर सेटेलाइट हॉस्पिटल के कनिष्ठ विशेषज्ञ की थी।

हनुमान पड़िहार ने उसका उपयोग अपने हथियार लाइसेंस के दस्तावेज प्रमाणित करने के लिए किया था। इस संबंध में सेटेलाइट हॉस्पिटल के डॉक्टरों से पूछताछ की गई। सभी के नमूना हस्ताक्षर लिए गए। छापे का मुकदमा सीआई धरम पूनिया की शिकायत पर दर्ज हुआ, जिसकी जांच नया शहर एसआई राजेन्द्र कुमार, सीआई रामेश्वर सहारण, सीओ सिटी अनुकृति उज्जेनिया, एएसपी रविदत्त गौड़, सीओ सिटी मुरलीधर किराड़ू, और सीओ सिटी शिव भगवान ने जांच की। तीन साल चली जांच के बाद मुकदमे 27 दिसंबर 2013 को अदम बकु मानते हुए एफआर लगा दी गई।

पुलिस जांच में अपराध साबित नहीं माना गया। सेटेलाइट हॉस्पिटल के कनिष्ठ विशेषज्ञ की मुहर को भी प्रमाणित नहीं माना गया। इससे पूर्व सेल्स टैक्स के तत्कालीन एसीटीओ कुंदन लाल बोहरा ने 16 फरवरी 2010 को गोवर्धन सिंह पड़िहार व उसके भाई हनुमान सिंह तथा शेखावाटी व जड़िया ट्रेवल्स के एजेंट और दीपक ट्रेवल्स के प्रबंधक नरेन्द्र पुरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि ट्रांसपोर्टर नरेन्द्र पुरी के काले कारोबार को बचाने के लिए गोवर्धन सिंह ने कई व्यापारियों के नाम से झूठी शिकायतें की। हनुमान सिंह भी इस काम में शामिल था। इस केस में भी जुर्म प्रमाणित नहीं माना और एफआर लगा दी गई।

गोवर्धन सिंह के महाराजा कलेक्शन सेंटर से पुलिस ने बड़ी संख्या में दस्तावेज जब्त किए थे। फर्द जब्ती में 150 से ज्यादा आइटम की लिस्ट तैयार की। महाजन फील्ड फायरिंग रेंज से संबंधित दस्तावेज, प्राइवेट स्कूल, यूआईटी के दस्तावेज, मोबाइल से खींचे हुए महिलाओं के 14 नग्न फोटो, जिनमें कुछ बाथरूम से खींचे गए थे।

इनमें एसीबी कोर्ट, सेल्स टैक्स अफसरों के रिकॉर्ड, माई पिक्चर फोल्डर में महिलाओं के अश्लील मुद्रा में सात नग्न फोटो, बरसलपुर हत्याकांड 2006 की फाइल, भाजयूमो के तत्कालीन जिलाध्यक्ष विजय उपाध्याय का लेटर पेड सहित बड़ी संख्या में दस्तावेज कंप्यूटर में अलग-अलग फाइलों के फोल्डर मिले। ज्यादातर में पुलिस ने जांच ही नहीं की।

सेटेलाइट हॉस्पिटल के कनिष्ठ विशेषज्ञ की मुहर मिली। दस्तावेज प्रमाणित किए, लेकिन उनकी एफएसएल जांच नहीं कराई। केवल कूटरचना मान छोड़ दिया।
गोवर्धन के ऑफिस से महिलाओं के नग्न फोटो मिले, लेकिन उनके प्रिंट निकाले ही नहीं। जांच में रिपोर्ट में लिखा -महिलाएं मिली ही नहीं। महिलाओं संबंधी अपराध नहीं माना।
महाजन फील्ड फायरिंग से संबंधित दस्तावेज लूणकरणसर तहसील से तस्दीक कराए गए। उन पर आगे जांच नहीं की गई। गोवर्धन सिंह के ऑफिस से बड़ी संख्या में दस्तावेज मिले थे। पुलिस ने अधिकांश में जांच ही नहीं की।

गोवर्धन सिंह के खिलाफ दर्ज चार केस रिऑपन किए हैं। तीन केस में एफआर लगाई गई थी। गहराई से हर बिंदू की जांच की जा रही है। मुकदमे अब चालान की स्टेज पर हैं। -अमित कुमार, एएसपी सिटी

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