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बीकानेर,दोस्तो आपको विदित है कि अभी एक माह कार्तिक मास चल रहा था हमारे बीकानेर का नगर सेठ लक्ष्मी नाथ जी कहलाते हैं । और एक तरफ अभी शहरी सरकार का मानसून चल रहा है इस पूरे एक माह लक्ष्मी नाथ जी कि कृपा मेरे पर भी हुई चूंकि एक तरफ चुनावी मानसून तो भाई बीकानेर का नागरिक तो नगर सेठ के पास ही कुछ मागंने को जायेगे और क्यू न जाये नगर सेठ जो है । सेठ के सामने मैने अनेक उन राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्त्ताओ को गुनगुनाते हुए देखा कि हे नाथ मैने वर्षो मेरी पार्टी तथा मेरे वरिष्ठ नेताओं की सेवाओं में गुजार दिए मैने मेरे घर के लोगो को तथा रिश्तेदारो को कभी सन्तुष्ट किया या न किया किन्तु अपनी पार्टी के नेताओं तथा पार्टी के आदेश को सर्वोपरि माना चाहे इसके लिए घर वालों से में सामाजिक रूप से टूटता गया मैने मेरा कर्म करने में कोई कसर नहीं छोङी अब ये पार्षद की उम्मीदवारी मेरे हाथ से नहीं जानी चाहिए । ऐसी प्रार्थना का क्रम दोस्तो बीस पचीस दिन चला किन्तु अभी दो तीन दिनो में मै क्या देख रहा हूँ कि उनमें से अनेक लोग नगर सेठ के सामने ये बङ बङाते मिले कि हे नाथ मुझे अगले जन्म में बनाना है तो चाकू बनाना ताकि खरबूजे पर वार (हमला) ही कर सकू खरबूज मत बनाना क्योंकि उसमें बलि का बकरा मुझे ही बनना है पहले चाकू मेरे पर चले या फिर मैं चाकू पर गिरू नुकसान मुझे ही होना है फिर किसी के मुहं का स्वाद बनूगा लेकिन कचरा मेरा ही होना है । या फिर हे नाथ मुझे पैरासूट व्यक्ति बनाना क्योंकि किसी भी दल का हीरो मुझे ही बनना है लेकिन किसी पार्टी का कार्यकर्ता मत बनाना क्योंकि यहां दुश्मनों की नजर में तो मेरा नाम टोप टेन में होगा लेकिन अपनो की नजर में तो नदारद रहूगा । इसलिए मुझे कार्यकर्ता मत बनाना । हे नाथ हमारे से अच्छे तो वो सामाजिक कार्यकर्ता तथा धार्मिक कार्यकर्ता भी भले जो उनको किसी कार्य के करने से आत्म सन्तुष्टि तो मिलती है । किसी से दुश्मनी तो नहीं ।

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