बीकानेर,भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव तैयारियां का बिगुल बजा दिया है। राष्ट्रीय नेताओं के दौरे और पार्टी से बिछड़े नेताओं की वापसी, अन्य दलों में सेंधमारी और सेलिब्रिटी को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के संयोजन में एक कमेटी बनाई है। जैसा अर्जुन राम ने खुद प्रेस के कुछ लोगों को बताया कि 25 शामिल होने के इच्छुक नेताओं की सूची कमेटी को परीक्षण के लिए मिलेगी। कमेटी तय मापदंडों से परीक्षण कर अनुशंसा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष को भेज देगी। अर्जुन राम को कमेटी का संयोजक बनाने से निश्चय ही प्रदेश में पार्टी के नेताओं के बीच आदवतें कम होगी। मेघवाल संजीदा व्यक्ति है। वे मेहनत और व्यक्तिगत योग्यता से आगे बढ़े हैं। राजनीतिक समीकरण, विचारधारा के पोषक और अजा के प्रतिनिधित्व के कारण राजनीति में पहचान बनी है। इसका दूसरा पहलू यह है कि मेघवाल में नेतृत्व दक्षता नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदेश के एक गुट ने उनको टिकट नहीं मिले इसके भरसक प्रयास किए। उन दिनों भाजपा के एक बड़े नेता ने मुझसे विधायक गोपाल जोशी के सामने पूछ था कि मेघवाल जी का पार्टी नेताओं में इतना विरोध क्यों है ? क्योंकि खुद जोशी, सिद्धि कुमारी, भाटी समेत उनके संसदीय बीकानेर में पार्टी का बड़ा ग्रुप उनके विरोध में था और आज भी है। मेरा जवाब था कि मेघवाल की बढ़ती लोकप्रियता और राजनीतिक सफलता से स्थापित नेता ईर्ष्या करते है। इन नेताओं की वैल्यू घट रही है। इससे पार्टी में उनका विरोध हो रहा है। दूसरा मेघवाल में राजनीतिक स्किल का निन्तात अभाव है। पार्टी के बड़े नेता के सामने गोपाल जोशी भी मेरी बात पर सहमत हुए थे। बातों बातों में संघ के एक पदाधिकारी ने भी कारण जानना चाहा था। यही बात उन्होंने सही मानी, क्योंकि उस समय तक मेघवाल मोटे तौर पर जनता में निरपेक्षक व्यवहार की छवि लिए हुए थे। आज वे भाजपा में एक गुट के हिस्से हैं। यह बात उनकी के पार्टी के लोग कहते हैं कि भाटी को मेघवाल ने ही हराया। आज भी तीन विधायकों में से दो उनके विरोधी हैं। कुछ माह पहले प्रदेश के एक नेता की बीकानेर यात्रा के दौरान मेघवाल की जो फजीहत हुई उससे उनकी बीकानेर भाजपा में स्वीकार्यता का पत्ता चलता है। मेघवाल की जीत के पीछे भी मोदी नाम का कवच ही है उनकी हैसियत नहीं है शायद वे खुद भी इस बात को मानते होंगे ? अर्जुन राम की कमेटी के संयोजक के रूप में कितनी हैसियत है यह तो पार्टी नेतृत्व जाने। वैसे राजनीति समर्थन और विरोध का खेल है। हर नेता के समर्थक अपने नेता की सकारात्मकता और विरोधी नकारात्मकता को हवा देते हैं। कुछ भी हो कमेटी संयोजक के रूप में मेघवाल के लिए अपनी छवि सुधारने और अपने विरोधियों से पार पाने का भी अवसर है। यह सच कि वे कोई निर्णयाक की हैसियत नहीं रखते, परंतु पार्टी में सौहार्द बनाने में भूमिका निभा सकते हैं। यह भूमिका उनकी पॉलिटिकल स्किल बन सकती है? बाकी बातें दीगर है।
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