
बीकानेर,बाजार में अनेक उत्पाद बेचने वाले पतंजलि योग पीठ की नजर अब ऊंटों की उपयोगिता पर होने लगी है। योग पीठ के दल ने शनिवार को राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र का भ्रमण कर ऊंटों पर हो रहे अनुसंधान तथा समाज में इसकी उपयोगिता के संबंध में केन्द्र के वैज्ञानिकों से विचार-विमर्श किया। दल में पतंजलि संन्यास प्रकल्प के बंगाल, उड़ीसा, बिहार, चेन्नई के 95 संन्यासी, आचार्य व ब्रह्मचारी शामिल थे। दल में शामिल सदस्यों ने उष्ट्र डेयरी, कैमल मिल्क पॉर्लर, उष्ट्र बाड़ों तथा उष्ट्र पर्यटनीय सुविधाओं में उष्ट्र संग्रहालय, उष्ट्र सफारी आदि प्रमुख स्थलों का भ्रमण करते हुए इनकी व्यावहारिक जानकारी ली। इस अवसर पर केन्द्र निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने उष्ट्र प्रजाति की बहुआयामी उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि केन्द्र में अनुसन्धान द्वारा ऊंटनी का दूध मधुमेह, क्षय रोग व ऑटिज्म के प्रबंधन में कारगर पाया गया है। यह दूध एलर्जी नहीं करता एवं इसमें महत्वपूर्ण रोग प्रतिरोध क्षमता को देखते हुए इस पशु को औषधि का भण्डार कहा जा सकता है। उन्होंने उष्ट्र पर्यटन विकास के तहत उष्ट्र बाल, चमड़ी, हड्डी आदि से जुड़े कुटीर उद्योगों को उष्ट्र पालकों के लिए आमदनी का महत्वपूर्ण जरिया बताते हुए उष्ट्र विकास एवं संरक्षण के लिए पतंजलि योगपीठ के माध्यम से ऊंटों की बहुआयामी उपयोगिता को आमजन के कल्याणार्थ आगे बढ़ाने की अपनी मंशा जाहिर की। पतंजलि के दल में स्वामी (डॉ.) परमार्थ देव, अरविन्द पांडेय, विनोद पारीक, संदीप कासनिया आदि शामिल थे।