बीकानेर,जयपुर,170 वर्ष का इतिहास बदलेगा। राजस्थान में अब नर्सेज सफेद ड्रेस में नजर नहीं आएंगी। अब उनकी ड्रेस बदली जाएगी। राजस्थान सरकार ने इस पर सहमति जताई है।
राज्य के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत नर्सिंगकर्मी पहली बार स्काई ब्लू, ब्लू और नेवी ब्लू ड्रेस कोड में नजर आएंगे। फ्लोरेंस नाइटिंगेल को नर्सिंग की जनक माना जाता है। सन 1853 में उन्होंने लंदन में महिलाओं का एक अस्पताल खोला। 170 वर्ष के नर्सिंग इतिहास में राज्य की नर्सेज को सफेद ड्रेस में ही देखा जाता रहा है। इधर, नर्सेज के दूसरे धड़े ने इसका विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना है कि यह नर्सेज की पहचान मिटाने की कोशिश है।
नर्सेंज संयुक्त संघर्ष समिति के प्रदेश पदाधिकारियों की शुक्रवार को चिकित्सा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह से वार्ता के बाद ड्रेस कोड में बदलाव के आदेश जारी हुए। पुरुष नर्सिंगकर्मी स्काई ब्लू शर्ट, नेवी ब्लू पेंट में रहेंगे। महिला नर्सिंग कर्मियों का ड्रेस कोड ब्लू साड़ी, कुर्ता, नेवी ब्लू सलवार, सफेद एप्रिन रहेगा। ड्रेस कोड में नेवी ब्लू ब्लेजर, जर्सी, ब्लैक शूज, व्हाइट मोजे भी शामिल किए गए हैं। राज्य में सफेद ड्रेस कोड को लेकर हमेशा अस्पष्टता रही, लेकिन नर्सेज का यही परंपरागत ड्रेस कोड माना जाता रहा।
*दूसरे धड़ा बोला – सफेद रंग शांति और शालीनता का प्रतीक*
राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष श्याम सिंह ने आरोप लगाया कि यह आंदोलन गलत मांगों को लेकर था। इसीलिए 60 हजार नर्सेज इससे दूर रहीं। इसके बावजूद सरकार ने हजारों नर्सेज को विश्वास में लिए बिना ड्रेस का कलर बदल दिया। यह नर्सेज का अपमान है। शालीनता और शांति का प्रतीक सफेद रंग नर्सेज की पहचान रहा है। 11 सूत्री मांगों में से कुछ ही मानकर नर्सेज को झुनझुना पकड़ाया है। ड्रेस कोड बदलने का निर्णय वापस नहीं लिया तो आंदोलन करेंगे।
*नर्सेज की इन मांगों पर भी बनी सहमति*
जिला और उप जिला अस्पतालों की महिला नर्सेज के लिए क्रेच (शिशु गृह) खोले जाएंगे। वित्तीय मांगों के परीक्षण के लिए समिति बनाई गई है। इसमें निदेशक जनस्वास्थ्य, निदेशक अराजपत्रित, संयुक्त सचिव (तृतीय), राजस्थान नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार व अन्य सदस्य होंगे। समिति 15 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। वार्ता में नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार शशिकांत शर्मा सहित नरेन्द्र सिंह शेखावत, प्यारेलाल चौधरी, राजेन्द्र सिंह राणा सहित अन्य नर्सेज प्रतिनिधि मौजूद थे। इसके बाद आंदोलन 15 दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।