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बीकानेर,एक मुस्लिम राय शुमारी से ज्ञात हुआ है कि अभी शहरी ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के प्रति लोग जागरूक हुऐ हैं लेकिन अशिक्षा , गरीबी, अभाव की जिंदगी के कारण प्राथमिक 20% , उच्च प्राथमिक 30 %, माध्यमिक50 % उच्च माध्यमिक 80% बच्चे ड्रॉप आउट हो जाते हैं 5 % लोग उच्च शिक्षा से होते हुए 2,% कामयाब होते हैं उन में भी प्रॉपर गाइडेंस के अभाव में ट्रैक से उतर जाते हैं ।
आज आवश्यकता इस बात की है कि शिक्षा संघर्ष संगठित प्रयास की है विशेष कोचिंग , परामर्श ,आर्थिक कोष, सेवा भाव से काम करने वालों को मिशन की तरह बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए आज के इस दौर में जब तक शासन प्रशासन मे भागीदारी नहीं होगी तब तक हमारी उपेक्षा होगी अब आधी रोटी खाओ बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाओ ।
अपनो की इज्जत करो चाहे कुछ भी हाथ पकड उठाओ उसकी टांग न खींचो ,अपने वजूद को कायम करो । परिवार समाज को भी अपने अनुभव से शिक्षित करो ।
ऐसा ही राजनीति में सर्व मान्य नेता का अभाव है राजनीति में अपना मकाम खुद स्थापित नहीं कर पाते,आजकल पिच्छलगुओं की फौज जो प्रतिभाओं को धन बल व्यक्तिगत स्वार्थ पूर्ति की खातिर आगे नहीं आने देते। राय शुमारी में एक बात सामने आने लगी है कि अब हक की लड़ाई का जज़्बा आम लोगों में हिलोरे मार रहा है जो मुस्लिम समुदाय मे 40 % लोग मजदूर किसान रिक्शे ,खुले काम करने वाले खुदार लोग हैं 40 % वे लोग हैं जो जिनको राजनीति से लेना देना नहीं उनको जिधर चलाया जाए उधर हो जाते हैं 10%लोग व्यापारी ,ठेकेदार कर्मचारी जो राजनेताओं की छाया तलाशने हवा के साथ चलते हैं। 5% खारिज किस्म के लोग 4% लोग जिनको राजनीति का चस्का तो है लेकिन राजनैतिक समझ नहीं हैं 1 %वे लोग हैं जो राजनीति में तो हैं लेकिन वैशाखी के सहारे याचक की श्रेणी में उठ बंदर बैठ बंदर की तरह हैं। जिनका जनाधार नहीं हैं,अधिकारपूर्वक आंख से आंख मिलाकर बात करने वाले नहीं हैं जिन्होंने कभी भी कोम
के लिए आंदोलन किए हों एक फोन से प्रशासन मे हलचल होती हो ऐसा क़िरदार का नेता नहीं हैं।
आज आवश्यकता इस बात की है कि नेता कैसा भी हो उसको विश्वास हो कि मेरे पीछे जन सैलाब है वह सुख दुःख की घड़ी में उपलब्ध हो । ऐसा लीडर तैयार करने की जरूरत है टिकट मांगने की नहीं टिकट सामने लेकर आएंगे पूर्व विधानसभा में एक आजमाइश कर सकते हैं । तानाकशी से बच्चो एक जाजम पर बैठने के प्रयास अपने अपने तरीके से करो अल्लाह हमे नेक तौफिक अता करे – आमीन !
खैर बाकि बुद्धिजीवी ,राजनेताओं के मनन करने , प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए ।

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