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बीकानेर.राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र (एनआरसीसी) द्वारा ऊंटनी के दूध पाउडर की नूतन प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण से अब देश भर में ऊंटनी के दूध की उपलब्धता हो सकेगी। इस संबंध में नआरसीसी एवं पर्ल लेक्टों कंपनी के मध्य मंगलवार को करार किया गया।

करार पर केन्द्र के निदेशक डॉ.आर्तबन्धु साहू एवं पर्ल लेक्टो कंपनी के संस्थापक अमन ढिल ने हस्ताक्षर किए। केन्द्र के निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने कहा कि केन्द्र के वैज्ञानिकों ने नवीन तकनीकों का उपयोग करके गुणवत्तायुक्त उत्पाद बनाने की विधि विकसित की है, जिससे ऊंटनी के दूध में मौजूद औषधीय गुण भी बरकरार रहते हैं। उन्होंने कहा कि ऊंटनी के दुग्ध उत्पादन, संग्रहण, प्रसंस्करण, शीतलीकरण एवं आपूर्ति आदि को लेकर व्यावहारिक चुनौतियां देखने में आ रही थीं। प्रधान वैज्ञानिक डॉ.आर.के.सावल ने कहा कि गाय व भैंस के दूध की प्रसंस्करण विधियां ऊंटनी के दूध के प्रसंस्करण में प्रत्यक्ष रूप से उपयोग नहीं लाई जा सकती हैं, क्योंकि ऊंटनी के दूध की अलग विशेषताएं हैं।

पर्ल लेक्टो डेयरी के संस्थापक अमन ढिल ने बताया कि यह कम्पनी मुख्य तौर पर गाय के दूध का व्यापार कार्य कर रही है। कंपनी की मंशा है कि औषधीय गुणवत्ता युक्त कैमल मिल्क को बाजार में लाया जाए, ताकि दूध के व्यवसाय के साथ-साथ जरूरतमंद एवं आमजन को इसका लाभ मिल सके।

एनआरसीसी की उष्ट्र डेयरी प्रौद्योगिकी एवं प्रसंस्करण इकाई के प्रभारी डॉ.योगेश कुमार ने बताया कि केन्द्र द्वारा ऊंटनी के दूध से नवीन तकनीक द्वारा उष्ट्र दुग्ध पाउडर बनाने की विधि तथा अन्य महत्वपूर्ण तकनीकी पहलू कम्पनी को हस्तांतरित किए गए हैं ।

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