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बीकानेर,अब ऊंटनी का दूध प्रदेश व कुछ राज्यों तक ही सीमित नहीं बल्कि इसकी मांग पूरे भारत में उठने लगी है। यह जानकारी भारतीय कृषि अनुसंधान के राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र (एनआरसीसी) के निदेशक डॉ.आर्तबंधु साहू ने दी। उन्होंने कहा कि एनआरसीसी द्वारा ऊंटनी के दूध के प्रति जागरूकता बढ़ाने एवं इसे एक व्यावसायिक स्वरूप प्रदान करने के लिए दक्षिण भारत का रूख किया है। एनआरसीसी से प्रेरित होकर दक्षिण भारत तक पहुंचे उष्ट्र दुग्ध व्यवसाय, मधुमेह एवं ऑटिज्म में ऊंटनी के दूध का महत्व, अन्य राज्यों में प्रसारित हो रहे उष्ट्र दुग्ध व्यवसाय तथा इनकी बिक्री स्थिति आदि पर बात करते हुए डॉ. साहू ने कहा कि प्रदेश के ऊंटपालकों को इस दिशा में आगे बढना चाहिए क्योंकि औषधीय उपयोगिता एवं इसकी बढ़ती मांग, दूध के अच्छे बाजार भाव दिलवाने में सक्षम है। उन्होंने बताया कि इसके दूध से कुल्फी, चीज, पनीर, खीर, चोकलेट,गुलाब जामुन, बर्फी, पेड़ा, संदेश, मिल्क पाउडर जैसे प्रॉडक्ट बनते है. इसके अलावा इसे दवाइयों में भी इस्तेमाल किया जाता है. अपने गुणों की वजह ऊंट के दूध कीमत बहुत ज्यादा है।

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