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बीकानेर.ऊंट को कृषि कार्य और भारवाहक पशु के रूप में पहचाना जाता है। ऊंटनी के दूध में कई तरह के औषधीय गुण होने से इसके उत्पाद बनाए जाने लगे है। अब ऊंट के बालों (ऊन) की उपयोगिता भी साबित हुई है। राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र बीकानेर ने ऊंट के बालों से कंबल और दरी समेत कई उत्पाद तैयार कराए हैं। अभी बाजार में यह उत्पाद नहीं उतारे गए है। परन्तु इनकी गुणवत्ता और सर्दी में बेहद उपयोगी होने से व्यवसायिक उत्पादन पर विचार किया जा रहा है।

अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों का मानना है कि ऊंट पालक यदि ऊंट के बालों का महत्व समझने लगेंगे तो बालों से बड़े पैमाने पर उत्पाद तैयार होकर बाजार में उतारे जाने लगेंगे। कृषि कार्य में उपयोग घटने के चलते ऊंट की उपयोगिता अन्य कार्यों में कायम रखने के लिए लगातार अनुसंधान चल रहे है। दूध के विभिन्न उत्पाद, चोकलेट, आइसक्रीम, बिस्किट आदि बनाने के बाद अब बालों पर काम शुरू किया गया है। इसके बालों के बीच में कैरेटिन प्रोटीन भी होता है।

एक बार ही होती है कटिंग

ऊंट के बालों की कटिंग साल में एक बार ही की जाती है। गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ही इसके बालों की कटिंग शुरू हो जाती है। तेज गर्मी में बालों की कटिंग करने पर वे शुष्क हो जाते हैं और उत्पाद बनाने में काम नहीं आते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि मार्च के बाद बालों की कटिंग करने का उचित समय होता है।

सर्दी में बाल अधिक बढ़ते हैं और पशु का सर्दी से बचाव भी करते हैं। इस वजह से मार्च के बाद कटिंग की जाती है। एक बार में एक ऊंट के करीब दो किलो बालों की ऊन उतरती है। इसमें से भी पैर और पूछ के तीस प्रतिशत बाल छोटे होने के चलते काम नहीं आते। शेष 70 प्रतिशत बाल उत्पाद बनाने में उपयोग लिए जा सकते हैं।

ऊंट के बालों कोनष्ट नहीं करें

यह सही है कि ऊंट के बालों से कई तरह के उत्पाद बनाए गए हैं। लेकिन ऊंट पालकों को इसकी जानकारी नहीं होने के कारण वे इसकी कटिंग कर कचरे में फेंक देते हैं। दो ऊंटों से एक किलो ऊन निकलती है। इससे उत्पाद बनाए जा रहे हैं। अगर ऊंट पालक बालों का महत्व समझ जाए तो उन्हें इससे आय भी हो सकेगी।

डॉ. आर्तबंधु साहू,निदेशक उष्ट्र अनुसंधानकेन्द्र बीकानेर

बालों से यह उत्पाद हो रहे तैयार
उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में ऊंट के बालों से कई तरह के उत्पाद तैयार किए गए है। अभी केवल पर्यटकों को दिखाने तथा बालों के महत्व को दर्शाने के लिए प्रदर्शित किए गए हैं। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.राजेश कुमार सांवल के अनुसार ऊंटों में गर्मी के मौसम में बालों के झड़ने का क्रम शुरू हो जाता है। इस वजह से गर्मी का मौसम शुरू होते ही कटिंग कर लेनी चाहिए। बालों से कंबल, दरी, रस्सी, शॉल आदि बनाए जाते हैं। दो ऊंटों के बालों से सामान्य साइज का कंबल बन जाता है। इसके बालों में चमक भी होती है। यह चमक कैरेटिन प्रोटीन की वजह से होती है। कैरेटिन प्रोटीन सर्जरी के दौरान काम आने वाला धागा बनाने तथा अन्य कई तरह के कार्य में उपयोग लिया जाता है।

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