बीकानेर,भाजपा राजस्थान में अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी में दिनों दिन पिछड़ती जा रही है। यह कटु सत्य है। इसे पार्टी अभी मानने को तैयार नहीं है। केंद्र में सत्ता का गुरुर और नेताओं का अहंकार सिर पर चढ़कर बोल रहा है। कांग्रेस राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तैयारी में जितने कदम आगे बढ़ चुकी है भाजपा के लिए बने हालातों में इतने डग भर पाना चुनौती है। जब मैने मेरे भाजपा के एक करीबी मित्र को बातचीत में कहा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ राजस्थान भाजपा के राज्यव्यापी अभियान ‘नहीं सहेगा राजस्थान’ का वास्तव में जन मानस पर उतना प्रभाव नहीं हो रहा। भले ही पार्टी नेता और कार्यकर्ता कितने ही खुश हों। अभियान से जन जुड़ाव नहीं बन पाया है। मेरे मित्र मुझे पैनी निगाहों से देखने लगे। ऐसा होता भी है किसी नेता को सच कहना उसके अस्तित्व को चुनौती देना होता है। मैने उनकी नजरों को भांपते हुए कहा यही हालत रहे तो समय सच को साबित कर देगा। यह सच्चाई है कि जो भाजपा कांग्रेस की गहलोत सरकार का “फेल कार्ड जारी कर रही है वो अपने मंतव्य में सफलता क्यों नहीं पा रही है ? भाजपा के पहले भी जनता को जोड़ने के कई अभियान उतने सफल नहीं हो पाए हैं। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष नढ्ढा की जनसभा में भीड़ नहीं जुटी। प्रधानमंत्री की नौरंगदेसर की जनसभा भी कितनी सफल रही है नेता आईने में झांककर देख चुके हैं। सच तो वे मन में जानते ही हैं। बीकानेर के बाद, जयपुर, अजमेर में भाजपा के प्रदर्शन से पार्टी नेताओं को आत्म चिंतन करना चाहिए। बीकानेर में “नहीं सहेगा राजस्थान”अभियान में भाजपा का राजस्थान सरकार के खिलाफ काली पट्टी बांध कर धरना केवल राजनीतिक उपक्रम ही रहा। जनता का कोई लेना देना नहीं रहा। गहलोत सरकार की नाकामियों का फेल कार्ड, कलेक्ट्रेट तक निकाली पदयात्रा, पदयात्रा में पुलिस और भाजपाइयों में मामूली झड़प। अब राजनीतिक रूप से विधानसभा चुनाव में कितना सार्थकता देंगे कह नहीं सकते।
चुनाव से पहले भाजपा का गहलोत सरकार के अत्याचार, भ्रष्टाचार, पेपर लीक, बेरोजगारी, बलात्कार, गेंगवार, अवैध खनन, दलित महिला आदिवासी अत्याचार गहलोत सरकार अब और “नही सहेगा राजस्थान” – मुद्दे राजनीतिक है। वाजिब भी। जनता भाजपा के मंच से अब स्वीकार कर लें तो बल्ले बल्ले। अन्यथा तो भाजपा का राजनीतिक प्रलाप ही माना जाएगा। भाजपा का नया प्रदेशाध्यक्ष किसी तरह की राजनीतिक दक्षता नहीं दिखा पाए। केंद्रीय नेताओं जिसमें पी एम के दौरे भी शामिल है कोई माहौल नहीं बना पाए। प्रदेश में भाजपा की तस्वीर धुंधली है। प्रदेशवासियों को भाजपा के नाम पर स्पष्ट कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है। न तो पार्टी की कार्यनीति और न ही नेताओं के चेहरे। कांग्रेस में सारी तस्वीरे उभर चुकी है। रास्ता बना दिया गया है। कांग्रेस कदम ब कदम आगे चल रही है। भाजपा पीछे रह गई है। कांग्रेस के बढ़े डगों को भाजपा कैसे पाट पाएगी ? यह अभी से ही चुनौती है।