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बीकानेर,पत्रकार का अपना नैतिक धर्म है। समाज, राष्ट्र और लोकतंत्र के प्रति पत्रकार की जिम्मेदार भी है जो पत्रकारिता की भावना से यह काम करते हैं वे निसंदेह पत्रकारिता के नैतिक धर्म और जिम्मेदारी को समझते भी है। और अपने कर्तव्य धर्म को लोगों की नाराजगी लेकर निभाते है। वो न नेताओं का पिछलगु होते है और न प्रशासन और सरकार के दलाल। आजादी के बाद पत्रकारिता के लिए अपमानजनक एक ही उपमा थी पीत पत्रकारिता। आज दुर्भाग्य है कि पत्रकारिता और पत्रकार के लिए क्या क्या नहीं कहा जाने लगा है। निश्चित ही पत्रकारों और पत्रकारिता ने अपनी साख खोई है। यह किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए चिंताजनक बात है। केवल कई पत्रकारों पर ही नहीं पत्रकारिता के कई संस्थान भी इन आरोपों से अछूते नहीं है। यह सच भी है पेड न्यू ने साख पर बट्टा लगा दिया है। राजनीतिक दल सत्तापक्ष पर मीडिया को खरीदने के आरोप लगाते रहे हैं। बदली परिस्थितियों में मीडिया कितना पाक साफ है जनता जानती है। जन हित के मुद्दों पर मीडिया कितनी सजगता दिखाता है। यह भी पाठक समझते हैं। मीडिया से जुड़े लोगों का स्तर कितना गिर गया है इसका नमूना खुद मीडिया के लोगों ने ही बीकानेर में जार के सम्मेलन को लेकर पेश किया है। जार का एक गुट दूसरे गुट पर प्रमाण के साथ आरोप लगा रहा। आरोप लगाने वाले जार अध्यक्ष का कहना कि हम अधिवेशन करते हैं मुख्यमंत्री को बुलाना चाहते तो ये बाधा डालते हैं। इनके संगठन में अध्यक्ष से लेकर सभी गैर पत्रकार है। आरोप प्रत्यारोप के बीच सम्मेलन के आईने में पत्रकारों की तस्वीर दिखती है। यह तस्वीर पत्रकारिता की प्रतिष्ठा धूमिल कर रही है। पत्रकार को समाज में और नीचा दिखा रही है। हम पत्रकार खुद को खुद ही बेनकाब कर रहे हैं। जार के एक गुट ने अधिवेशन करने वालों के खिलाफ शामिल होने वाले अतिथि अर्जुनराम मेघवाल केन्द्रीय संस्कृति राज्यमंत्री, डॉ.बी.डी.कल्ला शिक्षा मंत्री राजस्थान, गोविन्दराम मेघवाल आपदा प्रबंधन मंत्री, भंवर सिंह भाटी ऊर्जा मंत्री, विधायक सुश्री सिद्धि कुमारी, गिरधारी महिया, बिहारी लाल विश्नोई, सुमित गोदारा, श्रीमती सुशीला कंवर राजपुरोहित महापौर बीकानेर नगर निगम, नारायण झंवर, हाजी मकसूद अहमद, महावीर रांका, नोपाराम जाखड़, समाजसेवी इकबाल समेजा, दीपक पारीक, सुभाष स्वामी को संदेश भेजा है कि
महोदय नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स, इंडिया (एनयूजे,आई) से सम्बद्ध जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) राजस्थान के पत्रकारों का सबसे बड़ा पत्रकार संगठन है। यह संगठन 1989 से पत्रकार व पत्रकारिता हितों की रक्षार्थ सक्रिय रुप से कार्य कर रहा है। जयपुर महानगर टाइम्स के संपादक गोपाल शर्मा, राजस्थान पत्रिका के पूर्व संपादक व वरिष्ठ पत्रकार आनन्द जोशी, चन्द्रभान सिंह, गुलाब बत्रा, राजेन्द्र बोडा जैसे पत्रकारिता के पुरोधाओं ने इस संगठन की नींव रखी और आज भी इनके मार्गदर्शन व दिशा-निर्देश पर यह संगठन पूर्ण रुप से सक्रिय है। 10 अक्टूबर, 2018 से इस यूनियन के निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार शर्मा, प्रदेश महासचिव संजय कुमार सैनी के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार प्रदेश कार्यकारिणी प्रभावशाली तरीके से क्रियाशील है। प्रदेश कार्यकारिणी में सभी पदाधिकारी व सदस्य प्रदेश के प्रमुख समाचार पत्रों राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, टीवी18, दैनिक नवज्योति, दैनिक जागरण, पंजाब केसरी आदि मीडिया संस्थानों में पत्रकारिता की और वर्तमान में भी प्रमुख मीडिया संस्थानों में कार्यरत हैं। संगठन में एक भी नॉन जर्नलिस्ट्स नहीं है। सभी वर्किंग जर्नलिस्ट्स हैं, जिनका आजीविका पूर्णतया पत्रकारिता पर है।
हमें, सूचना मिली कि एनयूजेआई की लाखों रुपयों की लोन राशि हड़पने समेत अन्य अवांछित व गैर कानूनी गतिविधियों में लिप्तता के आधार पर संगठन से निष्कासित हरिवल्लभ मेघवाल व उनकी टीम के सदस्य जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार) के नाम का दुरुपयोग करके बीकानेर में प्रदेश पत्रकार अधिवेशन करवा रहे हैं। आपको बता दें कि हमारे संगठन द्वारा इस तरह का कोई अधिवेशन नहीं हो रहा है। यह है पत्रकारों और उनके संगठनों कि तस्वीर जबकि बीकानेर मेंअधिवेशन शुरू हो गया है। इन आरोपों प्रत्यारोपों को दर किनार कर बीकानेर के इस अधिवेशन के माध्यम से आयोजक समाज को ऐसा संदेश दे कि पत्रकारिता की साख में चार चांद लग जाएं। अन्यथा साख में बट्टा तो है ही।

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