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बीकानेर सदन से लेकर सड़क तक एक दशक से निराश्रित गोवंश की परेशानी उठाई जा रही है। गोपालन विभाग भी बनाया गया और प्रदेश में स्टाम्प ड्यूटी से लेकर शराब की बिक्री तक पर वैट अधिभार के माध्यम से गो सेस जुटाया जा रहा है। इसके बावजूद प्रदेश के शहरों के बाजारों से लेकर पश्चिमी सीमा पर अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर तक निराश्रित गोवंश भटक रहा है। कभी जिला मुख्यालयों पर नंदीशाला खोलने की बात होती है, तो कभी पंचायत समिति स्तर पर गोशाला निर्माण के लिए प्रदेश सरकार घोषणाएं करती हैं। फिर भी प्रदेश में तीस लाख से अधिक गोवंश बेसहारा है।

भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर तारबंदी के पास निराश्रित गोवंश घूमता नजर आ जाएगा। पेट की भूख शांत करने के लिए सूखे तिनको में मुंह मारती गाय-गोधे समस्या की भयावता बताने के लिए काफी है। कई बार तारबंदी पार करने के चक्कर में गाय-गोधे तारबंदी में भी उलझ जाते हैं। भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तारबंदी में 24 घंटे करंट प्रवाहित नहीं करने की वजह भी इसकी चपेट में आकर गोवंश की मौत होने की समस्या है।

सीमावर्ती प्रगतिशील किसान शंभू सिंह राठौड़ कहते हैं कि खेतों में फसलों के बचाव के लिए पहले कांटेदार तारबंदी करते थे। नील गाय आदि इस तारबंदी को तोड़कर खेतों में घुस जाती थी। ऐसे में कुछ लोग ब्लेंड वाली जेबरा वायरिंग करने लगे, जिससे चपेट में आया पशु लहूलुहान हो जाता है। इसका विरोध होने पर अब किसान सोलर झटका तारबंदी करने लगे हैं। इस तार में प्रवाहित करंट से पशु को झटका लगता है। जिससे वह दूर भाग जाता है। सरकार तारबंदी के लिए मदद की चिंता करने की जगह गोवंश का पेट भरने की व्यवस्था करे, तो समस्या अपने आप दूर हो जाएगी।

राज्य सरकार को गो सेस पेटे साल 2018-19 से साल 2020-21 तक करीब 200 करोड़ रुपए प्राप्त हुए। साल 2019-20 में पंचायत समिति स्तर पर गोशाला खोलने की घोषणा की। इस पर अमल साल 2021-22 में करते हुए सरकार ने डेढ़-डेढ़ करोड़ रुपए गोशाला निर्माण के लिए देने का प्रावधान किया। जबकि पंचायत समिति स्तर पर गोशाला निर्माण • संबंधी निर्देश 27 अगस्त 2021 को जारी किए गए। प्रदेश में अभी तक पंचायत समिति स्तर पर एक भी गोशाला तैयार नहीं हुई है।

प्रदेश में 2019 की पशु गणना में कुल गोवंश की संख्या 1 करोड़ 39 लाख 12 हजार सामने आई। पिछले साल विधानसभा में गोपालन मंत्री के जवाब में प्रदेश की पंजीकृत गोशालाओं में 10 लाख 40 हजार गोवंश को रखा माना गया। यह एक पहलू है। भूख, पॉलीथिन खाने और सड़क दुर्घटनाओं में हजारों गोवंश हर साल काल का ग्रास बन रहे हैं। गोशालाओं में रखे गोवंश में से भी सालाना करीब 1 लाख की मौत हो रही है। खुद गोपालन विभाग की ओर से विधानसभा में एक सवाल के जवाब में पांच साल में गोशालाओं में गोवंश की मौत का आंकड़ा 4 लाख 52 हजार 743 बताया गया।

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