बीकानेर,प्रदेशभर में बलात्कार की शिकार पीडि़ताओं की कोई सुन नहीं रहा। पीडि़ताओं की मदद के लिए सरकारी योजनाएं कागजों में दबी है। पीडि़त परिवारों को योजना का ज्ञान तक नहीं है। नाबालिग पीडि़ताओं की मदद के लिए सरकार ने बाल मित्र योजना चला रखी है। योजना के तहत बाल मित्र पीडि़ताओं की हर संभव मदद करते है। बालिकाओं के परिवार को कुछ समय के लिए आर्थिक मदद मुहैया कराई जाती है लेकिन अफसोस सरकारी योजना का प्रचार-प्रसार नहीं होने से यह लाभ वास्तविक पीडि़ताओं को मिल ही नहीं रहा।
पुलिस से मिले आंकड़ों के मुताबिक जिले में वर्ष 2018 से सितंबर, 2022 तक बलात्कार के 854 मामले दर्ज हुए, जिसमें से 239 पोक्से के मामले दर्ज हैं। सरकार ने बाल मित्र योजना, 2020 से लागू की। बीकानेर जिले में 2020 से अब तक बाल कल्याण समिति के पास पोक्सो के 100 मामले पहुंचे, जिनमें छेड़छाड़, बलात्कार के हैं। 13 मामले की बलात्कर संबंधी है। आज तक एक को भी किसी तरह की सहायता नहीं मिली हैं। अब बाल कल्याण समिति के माध्यम से केवल पांच को ही सहायता दिलाने की प्रक्रिया चल रही है। बड़ी विडम्बना है कि सरकार की योजना की आमजन को जानकारी ही नहीं है। इन योजनाओं को कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं किया गया है।
यह है बाल मित्र योजना
सरकार ने लैंगिक हिंसा से पीडि़त-बालक-बालिकाआ एवं उसके परिवार को विचरण (ट्रायल) से पूर्व एवं विचारण के दौरान विभिन्न प्रकार के सहयोग प्रदान करने तथा बेहतर केस प्रबंधन के लिए बाल मित्र योजना-2020 लागू की गई। सामाजिक कार्यकर्ता जिसने किसी विश्वविद्यालय से सामाजिक कार्य, समाजशास्त्र, मानव विकास, मनोविज्ञान एवं बाल मनोविज्ञान विषय में स्नातकोत्तर की शैक्षणिक उपाधि प्राप्त कर रखी हो या बाल संरक्षण के क्षेत्र में कम से कम पांच साल का कार्य अनुभव हो उसे ही बाल मित्र (सहायक व्यक्ति) नियुक्त किया जा सकता है। बाल मित्र को नौ हजार रुपए मिलते हैं। इसमें भी 4500 रुपए पहले और 4500 रुपए के का निस्तारण होने पर मिलते हैं।
योजना का उद्देश्य
पीडि़त नाबालिग, उसके परिवार एवं विभिन्न प्राधिकारियों के बीच मध्यस्थ की महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। पीडि़त के लिए न्याय एवं समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए संरक्षणात्मक वातावरण तैयार कर सके।
जिले के दुष्कर्म के आंकड़े
वर्ष – कुल मामले – नाबालिग
– 2018 – 136 – 35
– 2019 – 227 – 53
– 2020 – 166 – 50
– 2021 – 177 – 52
– 2022 – 148 – 49 (सितंबर तक के आंकड़े हैं)
इनका कहना है…
पोक्सो के अधिकांश मामले बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत ही नहीं होते। मामले पोक्सो कोर्ट में जाते हैं। बाल कल्याण समिति ने स्वयं संज्ञान लेकर पुलिस से पोक्सो मामलों की जानकारी ली है। पीडि़ताओं के परिजनों से वार्ता कर उन्हें बाल मित्र योजना की जानकारी दी।। पीडि़त परिवार की सहमति मिलने पर छह बाल मित्र (सहायक व्यक्ति) नियुक्त किए हैं। बाल मित्र कोई बनने को आ ही नहीं रहे। वर्तमान में सीडब्ल्यूसी के पास 13 मामले हैं, जिनमें से छह में बाल मित्र नियुक्त किए गए हैं।
डॉ. किरण सिंह तंवर, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति