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बीकानेर,जयपुर। निजी स्कूलों की फीस को लेकर मामला लगातार गर्माता जा रहा है पिछले डेढ़ साल से चल रहे फीस फसाद को लेकर हालांकि 03 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया था, फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने फीस एक्ट 2016 को सही मानते हुए, फीस एक्ट 2016 के अनुसार सत्र 2019-20 की निर्धारित फीस का 85 प्रतिशत जमा करवाने के आदेश दिए थे। जिस पर संयुक्त अभिभावक संघ सहित सभी अभिभावक संगठनों ने निजी स्कूलों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करने सहित मनमाने तरीके से फीस वसूलने को लेकर राज्य सरकार और शिक्षा विभाग में शिकायतें दर्ज करवाई, किन्तु कही पर भी कोई कार्यवाही नही हुआ और अधिकतर अभिभावक कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलों की फीस जमा नही करवा सके तो अधिकतर अभिभावकों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद फीस निर्धारित नही होने के चलते स्कूलों में फीस जमा नही करवाई। अब पुनः स्कूलों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है जिस पर सुनवाई चल रही है पिछली सुनवाई में पेरेंट्स एसोसिएशन और सभी पक्षकारों को 1 अक्टूबर का नोटिस जारी किया गया, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।

संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने बताया कि 03 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था, फीस जमा ना होने के चलते निजी स्कूल की संस्था सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टिट्यूट ने ऑर्डर को मोडिफाई करने की मांग को लेकर याचिका लगाई है। जस्टिस ए. एम खानविलकर की बेंच ने सुनवाई करते हुए पेरेंट्स एसोसिएशन सहित सभी पक्षकारों को नोटिस जारी किया था जिसपर 1 अक्टूबर को सुनवाई होगी।

प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि 03 मई को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था उसके बावजूद निजी स्कूलों ने मनमाने तरीके से अभिभावकों पर फीस जमा करवाने का दबाव बनाया जबकि अभिभावक स्कूलो ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और फीस एक्ट 2016 को लागू करने की मांग कर रहे थे। उसके बावजूद आज दिनांक तक भी निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित नही की। अब निजी स्कूल की एसोसिएशन मनमाने तरीके से डिसाइड फीस की मांग को लेकर पुनः सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है और 03 मई को आये आदेश को मोडिफाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। जबकि यही स्कूलो की एसोसिएशन थी जिन्होंने उस दौरान भी सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया और आज भी गुमराह करने का षड्यंत्र रच रहे है जिस पर राज्य सरकार भी निजी स्कूलों का बखूबी साथ निभा रहे है। 03 मई को आये आदेश के दौरान स्कूलो की एसोसिएशन ने कहा था कि उनके स्कूलो में फीस एक्ट 2016 के अनुसार तय फीस ही ली जा रही है जबकि अब उन्होंने याचिका लगाई है कि उनके स्कूल में फीस एक्ट 2016 लागू ही नही है। यही नही जब सुप्रीम कोर्ट ने 03 मई को आदेश दिया था तब यही सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टिट्यूट है जिसने अभिभावकों से कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश उनके स्कूल पर लागू नही होता और यही सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टिट्यूट अपनी नई याचिका में सुप्रीम कोर्ट से 03 मई 2021 को दिए आदेश को मोडिफाई करने, स्कूल मैनजमेंट द्वारा निर्धारित फीस को वसूलने एवं पूर्व आदेश में फीस के चलते पढ़ाई नही रोकी जा सकती है उस आदेश को भी हटाने की मांग की है।

*फीस जमा ना होने के चलते बोर्ड पंजीकरण रोक रहे है निजी स्कूल, जॉइंट डायरेक्टर को लिखा पत्र, सरकार और शिक्षा विभाग ले सख्त एक्शन*

संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से मांग की है कि जो अभिभावक कोरोना संक्रमण के चलते पीड़ित, प्रभावित और प्रताड़ित हुए है और निजी स्कूलों की फीस जमा नही करवा पा रहे है उन अभिभावकों को राहत देने के लिए सख्त आदेश जारी कर निजी स्कूलों को निर्देश जारी कर किसी भी बच्चे के भविष्य से खिलवाड़ ना करने, पढ़ाई एवं बोर्ड के पंजीकरण ना रोकने के आदेश जारी करे। जिन बच्चों को पंजीकरण/रजिस्ट्रेशन फॉर्म से भरने से रोका गया है उन सभी बच्चों को पंजीकरण फॉर्म भरने के लिए जिला और ब्लाक स्तर पर पंजीकरण/रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरवाने की व्यवस्था विभाग द्वारा की जाए। जिन स्कूलो ने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है उन स्कूलो पर सख्त एक्शन लिया जाए। इस संदर्भ में गुरुवार को स्कूली शिक्षा के जॉइंट डायरेक्टर घनश्याम दत्त जाट और जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखा गया है। अगले दो-तीन दिनों में राज्य सरकार के नाम मंत्रियों, विधायकों को ज्ञापन भी दिए जाएंगे। सुनवाई ना होने की स्थिति में किसी भी बच्चे के भविष्य से कोई खिलवाड़ किया गया तो संयुक्त अभिभावक संघ धरना, विरोध प्रदर्शन करने से भी पीछे नही हटेगी और ना ही जेल जाने से डरेगी।

 

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