
बीकानेर,राष्ट्रीय नवजात शिशु देखभाल जागरूकता सप्ताह के समापन पर शुक्रवार को जस्सूसर गेट के बाहर नवजात शिशुओं की माताओं से संवाद व परिचर्चा का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से निर्देशित राष्ट्रीय नवजात शिशु देखभाल जागरूकता सप्ताह के विषय ’’सुरक्षा, गुणवतापूर्ण और पोषण, देखभाल-प्रत्येक शिशु का जन्म सिद्ध अधिकार है ’’ पर विचार व्यक्त किए। चिकित्सकों ने शिशु की बेहतर देखभाल के संबंध में उपस्थित माताओं के प्रश्नों का उत्तर देकर उनकी भ्रांतियों को दूर किया तथा नियमित अपना दूध पिलाने का संकल्प दोहराया।
नियोनेटोलॉजी फोरम, राजपुताना (एन.एन.एफ राजपुताना), की ओर से आयोजित जागरूकता शिविर में मुख्य वक्ता नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ व एन.एन.एफ. फेलो नियोनेटोलॉजिस्ट (विशेषज्ञ चिकित्सक जो शिशु के जन्म के बाद पहले 28 दिनों तक के बच्चों की देखभाल में विशेषज्ञ ) डॉ.खुर्शीदा खान कायमखानी ने कहा कि नवजात शिशु को संक्रमण, श्वसन संकट और जन्म संबंधी जटिलताओं बचाने के लिए सभी माताओं व उनके परिजनों में जागरूकता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नवजात शिशु को माताएं अपना दूध छह माह तक अवश्य पिलाएं। परमात्मा व प्रकृति ने बच्चों की देखभाल के लिए माताओं को दूध समय पर पिलाने की शक्ति व सामर्थ्य दिया है। नवजात शिशु को गले लगाकर, स्नेह भाव से दूध पिलाने पर मां के दूध में कोई कमी नहीं होती। स्तनपान नवजात शिशुओं के लिए सबसे अच्छा आहार है, जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व होते है जो बच्चों के विकास के लिए आवश्यक है। स्तनपान से बच्चों को डायरिया, पेचिश और श्वसन संक्रमण आदि बीमारियों से बचाया जा सकता है।
डॉ.खुर्शीदा ने कंगारू मदर केयर के बारे में भी बताया, सिमें मां अपने बच्चे को अपने शरीर के करीब रखती है और उसे स्तनपान कराती है। कंगारू मदर केयर से बच्चे का तापमान नियंत्रित रहता है जिससे उसे कई बीमारियों से बचाया जा सकता है। उन्होंने बच्चों के नियमित टीकाकरण करवाने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि एक सप्ताह तक बच्चे की नाल का कुछ हिस्सा कई बार रहता है तो उसमें किसी तरह का तेल या अन्य सामग्री नहीं लगाएं, इसके आसपास के स्थानों को स्वच्छ रखे। इससे संक्रमण हो सकता है। शिशु की नाल अपने आप सूख कर झड़ जाती है। शिशु के किसी तरह की शारीरिक, मानसिक या विकास से संबंधी कोई समस्या नजर आने पर योग्य चिकित्सक से सलाह लें।
अध्यक्षता करते हुए बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ तथा राष्ट्रीय नवजात शिशु फोर्म के एक्जेटिव बोर्ड सदस्य डॉ. श्याम अग्रवाल ने कहा कि 15 से 21 नवम्बर तक आयोजित नवजात शिशु सप्ताह नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने और दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल की सार्वभौमिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जीवन के पहले एक माह के दौरान नवजात शिशु की देखभाल बहुत ही समझ, चिकित्सीय सलाह से करनी चाहिए। एक माह तक शिशु सबसे अधिक असुरक्षित रहता है। अनुवांशिक बीमारियों, गफलत से देखभाल, अंध विश्वासों व पारम्परिक रूढ़िवादी तरीके से नवजात शिशु के पालन पोषण से उनके जीवन में कई बार संकट आ जाता है। अनुवांशिक बीमारियों का भी समय पर ईलाज करवाने व शिशुओं के सही तरीके से देखभाल करते हुए पालन पोषण करने से वे स्वस्थ हो सकते है। उन्होंने नवजात शिशुओं की हाइपोथायरायडिज्म, जी.6, पीडी डेफिशिएंसी, कार्डियाक और हियरिंग स्क्रीनिंग के जांच के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इन जांचों से बच्चों की जन्मजात बीमारियों का पता लगता है।











