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बीकानेर,देश में विश्वविद्यालयों के माध्यम से गो आधारित ज्ञान को शिक्षा से जोड़ने, अध्ययन, अनुसंधान, गो ज्ञान- विज्ञान, को वि.वि. के पाठ्यक्रमों में शामिल कर स्थायी कृषि विकास, गो आधारित पारिस्थितिकी तंत्र से पर्यावरण सुरक्षा, गो आधारित अर्थव्यवस्था, ग्रामीण विकास, गो उद्यमिता विकास, जैविक खेती, जैव ऊर्जा और गोबर गो मूत्र आधारित उद्यमिता विकास की पहल कामधेनु चैयर से की गई है। यह देश में गो आधारित उद्यमिता विकास का नया सैक्टर अगले कुछ वर्षों में स्थापित होने की तैयारी में है।

इस कार्य की शुरुवात ग्लोबल कन्फेडरेशन ऑफ काउ-सेंट्रिक इंस्टीट्यूशंस (GCCI) और सौराष्ट्र विश्वविद्यालय ने हाल ही में “कामधेनु चेयर” पर एक सम्मेलन से किया है। अगला कामधेनु चेयर सम्मेलन राजस्थान में होना प्रस्तावित है। इस सेमिनार का उद्देश्य विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में “कामधेनु चेयर” की स्थापना करना है। साथ इसके माध्यम से स्वदेशी गायों के महत्व, उपयोगिता और उद्यमिता पर आधारित शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देना है। इससे देश में उच्च शिक्षा प्रणाली में गौ आधारित ज्ञान-विज्ञान को एकीकृत तरीके से बढ़ावा मिलेगा। गौ-आधारित उद्यमिता विकास, जैविक यानि टिकाऊ खेती और ग्रामीण उद्यमिता के लिए गौ-आधारित पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने का युवा पीढी को ज्ञान मिलेगा। देश में पारंपरिक गौ-आधारित ज्ञान के साथ आधुनिक विज्ञान व नवाचार के नए मार्ग प्रशस्त हो सकेंगे।

GCCI के अध्यक्ष और राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वल्लभ कथीरिया ने राजस्थान में कामधेनू चेयर स्थापित करने के लिए राजस्थान के कुलपतियों के सम्मेलन की प्रस्तावना दी है। उनका कहना है कि गौ आधारित नवाचार, उद्यमिता और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करते हुए “चलो गौ की और, चलो गांव की और, चलो प्रकृति की ओर” के हमारे पुरातन परम्परा में नवाचार से नया उद्यमिता सैक्टर बन जाएगा। जैव-कीटनाशकों, जैव-उर्वरक और जैविक खेती इनपुट जैसे मूल्यवर्धित गौ उत्पादों की आर्थिक क्षमता, गौ-केंद्रित उद्यमिता, डेयरी उत्पादन, गोबर और गोमूत्र आधारित पंचगव्य उत्पाद और बायोजेनिक ऊर्जा प्रणालियों में उद्यमियों को प्रोत्साहित करना। कई मुद्दों पर जोर दिया गया जैसे कि विश्वविद्यालयों की ओर से गौ आधारित अर्थशास्त्र और टिकाऊ कृषि पर विशेष पाठ्यक्रम विकसित करने की आवश्यकता।
राजस्थान के विश्वविद्यालय में कामधेनु चेयर की स्थापना के माध्यम से युवा गौ आधारित उद्यमिता में भाग लेने के लिए सशक्त होंगे । सतत विकास और पर्यावरण-अनुकूल व्यवसाय मॉडल बन सकेंगे। राजस्थान में भी कामधेनु चेयर का उद्देश्य छात्रों को गौ-आधारित अर्थव्यवस्था में नवाचार करने के लिए ज्ञान और कौशल में शिक्षित करना है। डेयरी नवाचारों से लेकर पंचगव्य उत्पादों और बायोजेनिक ऊर्जा प्रणालियों के विकास तक, यह पहल स्टार्टअप और उद्यमियों के लिए नए रास्ते खोलेगी, ग्रामीण विकास और पर्यावरण संरक्षण में योगदान करते हुए युवाओं को स्थायी आजीविका अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी गुजरात के पैटर्न पर राजस्थान में आयोजित होनो वाली इस संगोष्ठी से गौ आधारित ज्ञान और उद्यमिता के माध्यम से सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा । शैक्षणिक, सामाजिक और सरकारी संस्थानों और उद्योग जगत के नेताओं की सक्रिय भागीदारी के साथ, कामधेनु चेयर पहल ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने, नवाचार को बढ़ावा देने और भारतीय ज्ञान प्रणाली के अनुरूप पर्यावरणीय महत्व प्रदान करने में योगदान देगी।
सम्मेलन में विभिन्न वि,वि के कुलपित, पूर्व मंत्री, गौ उद्यमी के सफल किरदार रमेशभाई रूपारेलिया, देवरामभाई राजपुरोहित, भरतभाई परसाणा, रमेशभाई ठक्कर, हिरेन हपालिया, विशालभाई चावड़ा, डॉ. विशाल कोठारी, हरिओम राज्यगुरु, मंथन मांकड़, वैशालीबेन पारेख, तोयम शर्मा जैसे कई उद्यमी उपस्थित थे और उपस्थित कुलपतियों के समक्ष अपना भाषण प्रस्तुत किया। GCCI के अध्यक्ष डॉ. वल्लभभाई कथीरिया, GCCI कामधेनु चेर राष्ट्रीय मिशन निदेशक डॉ. नवीनभाई शेठ, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कमल सिंह डोडिया, प्रो. रमेशभाई कोठारी, डॉ.भरत खेर, डॉ. कवन अंधारिया, प्रोफेसर जेठाभाई चंद्रवाडिया, डॉ. जालपा रांक, डॉ. संदीप चोवटिया, डॉ. मितल कनेरिया, डॉ. विरल शुकल, क्रिना चिखलिया, इन्फिनिटी इन्फो के भावेशभाई गधेथरिया, निकुंजभाई पटेल, सुनीलभाई कनपरिया, अरुणभाई निर्मल और GCCI, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय, इन्फिनिटी इन्फो की पूरी टीम का इस आयोजन में भूमिका रही। इसी टीम के साथ मिलकर राजस्थान में कामधेनू चेयर सम्मेलन आयोजित किया जाना है।

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