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बीकानेर,जयपुर,पिछले साल गायों में महामारी के रूप में लाखों गायों की जान लेने वाली लंपी स्किन डिजीज के बाद अब पशुओं में एक-एक कर नए खतरनाक रोग सामने आ रहे हैं.

पिछले 4 माह से प्रदेश के आधा दर्जन जिलों में सुअरों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने आतंक मचा रखा है. वहीं अब घोड़ों में भी खतरनाक बीमारी के केस सामने आ रहे हैं. प्रदेश के 4 जिलों में अश्व वंशीय पशुओं यानी घोड़ों और गधों में एक खतरनाक बीमारी के मामले सामने आ रहे हैं. ग्लैंडर्स रोग यानी ऐसी बीमारी, जिससे न केवल पशु को सांस लेने में तकलीफ होती है, बल्कि बुखार जैसे लक्षणों के चलते उसका ज्यादा समय तक बच पाना मुश्किल होता है.

प्रदेश में अब तक इस बीमारी के आधा दर्जन मामले सामने आ चुके हैं. हाल ही में प्रदेश में जयपुर, झुंझुनूं, अलवर और बीकानेर जिलों में अश्व वंशीय पशुओं में ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि हुई है. विभाग द्वारा इस मामले पर त्वरित कार्यवाही करते हुए चारों जिलों को संक्रमित क्षेत्र घोषित कर अश्व वंशीय पशुओं के आवागमन को प्रतिबंधित किया गया है. पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ.भवानी सिंह राठौड़ ने बताया कि जयपुर, झुंझुनूं, अलवर और बीकानेर जिले रोग प्रकोप चिन्हित किए गए हैं. रोग प्रभावित क्षेत्र के 25 किमी त्रिज्या में क्षेत्र से अश्ववंशीय पशुओं काे इकट्ठा करने और आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी. पशुपालन विभाग ने प्रदेश में कई जिलों से घोड़ों के करीब 900 सैंपल एकत्रित किए हैं, इनमें से 6 घोड़ों में ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि की गई है. इसके बाद इन घोड़ों को यूथेनेशिया किया गया है.

जानिए, क्या है ग्लैंडर्स रोग ?:
– ग्लैंडर्स जीवाणु जनित बीमारी, जो घोड़े-गधों में होती है
– घोड़े के नाक से तेज म्यूकस नुमा पानी बहने लगता है
– शरीर में फफोले हो जाते हैं, सांस लेने में दिक्कत होती है
– साथ ही बुखार आने के कारण घोड़ा सुस्त हो जाता है
– एक जानवर से दूसरे जानवर में तेजी से फैलती है
– बीमारी से बचाव के लिए अभी तक कोई भी दवा या टीका नहीं बना
– पशुओं को एक-दूसरे से दूर रखकर ही कर सकते हैं बचाव
– पशुपालक यदि घोड़े में ग्लैंडर्स रोग के लक्षण देखें तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें
– इससे समय रहते रोग को दूसरे घोड़ों में फैलने से रोकना संभव

घोड़ों में इस बीमारी के केसेज बढ़ने पर पशुपालन विभाग ने सतर्कता बरतना शुरू कर दिया है. मार्च के दूसरे पखवाड़े यानी संभावित रूप से 18 मार्च से बाड़मेर जिले के तिलवाड़ा में लगने वाले मल्लिनाथ जी पशु मेला को लेकर सावधानी बरती जा रही है. इस पशु मेले में आमतौर पर घोड़ों की काफी खरीद-फरोख्त होती है. मेले में आने के लिए पशुपालन विभाग ने अश्व मालिकों को घोड़े का एलिसा एवं सीएफटी परीक्षण कराने के निर्देश दिए हैं. इस परीक्षण की नेगेटिव जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर ही घोड़े को मेले में प्रवेश दिया जाएगा. वहीं प्रभावित क्षेत्रों में अश्व पालकों को घोड़े का यूथनेशिया करने के एवज में करीब 25 हजार रुपए मुआवजा भी दिया जा रहा है. कुलमिलाकर पशुपालन विभाग का प्रयास है कि इस बीमारी से अधिक से अधिक घोड़ों को सुरक्षित रखा जा सके.

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