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बीकानेर,सेवा परमोधर्मः के परम् भाव से ओतप्रोत लोकदेवता बाबा रामदेव नेत्रकुम्भ 2025 का भावपूर्ण समापन कार्यक्रम राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे की गरिमामय अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेशचन्द्र, सीमा सुरक्षा बल के महानिरीक्षक एम. एल. गर्ग, सक्षम संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. पुरषोत्तम पुरोहित, पोकरण के विधायक महंत प्रतापपुरी महाराज, आयोजन समिति के अध्यक्ष राव भोमसिंह और राज्यपाल के निजी सचिव आई.ए. एस. डॉ पृथ्वी राज उपस्थित थे।

सक्षम संस्था, जयपुर, राजस्थान सरकार और 10 सहयोगी संस्थाओं द्वारा 01 अगस्त से निरन्तर बाबा के जातरूओं ओर क्षेत्र की जनता को नेत्रजाँच के माध्यम से लाभान्वित करने के लिए इस महाशिविर का आयोजन किया गया है।

राष्ट्रगान ओर देवचित्रों के समक्ष दीप प्रज्वलन के पश्चात मंच संयोजक व नेत्रकुम्भ के प्रबंध प्रमुख सुरेशचंद्र मेवाड़ा ने उपस्थित अतिथियों का परिचय कराया।

सक्षम संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. पुरुषोत्तम पुरोहित ने अपने प्रतिवेदन में नेत्रकुम्भ कि अवधारणा से लेकर अभी तक हुए नेत्रकुम्भ की उपलब्धियों को बताया। 2019 में प्रयागराज में, 2021 में हरिद्वार में ओर 2025 के प्रयागराज महाकुम्भ और इस चौथे नेत्रकुम्भ में अभी तक 5 लाख से अधिक नेत्रजाँच, 3 लाख से अधिक चश्में और 25 हजार लोगों की निःशुल्क सर्जरी की जा चुकी है।

अभी तक कुम्भ के अवसर पर आयोजित होते आये नेत्रकुम्भ कुम्भ मेले के बाहर पहली बार मरुप्रदेश में आयोजन हुआ है। इस क्षेत्र की विशेष भौगोलिक स्थिति जिसमे भीषण गर्मी, आँधी में उड़ते धूलकणों के कारण नेत्रों में विकार उत्पन्न होते हैं। इन सब स्थितियों को देखते हुए बाबा की पवित्र धरती रामदेवरा में यह नेत्रकुम्भ करना तय किया गया। इस पूरी 33 दिन की अवधि में यह भी अनुभव में आया कि इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, नेत्र स्वास्थ्य के प्रति अवहेलना और विशिष्ट चिकित्सा सेवाओं के अभाव के कारण भविष्य में इसी स्थान और अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से परिपूर्ण एक नेत्र चिकित्सालय स्थापित किया जाता है तो यह इस क्षेत्र के लिए मिल का पत्थर साबित होगा।

सीमा सुरक्षा बल जोधपुर फ्रंटियर के महानिरीक्षक एम.एल. गर्ग ने अपने सम्बोधन में सक्षम द्वारा दिव्यांगता और नेत्ररोग उन्मूलन के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों व नेत्रकुम्भ जाँच प्रक्रिया की खुले मन से प्रशंसा की। उन्होंने कहा उन्हें गर्व है कि देश के अंदर ऐसे संस्थाएँ हैं जो निःस्वार्थ सेवा के भाव से इस तरह के प्रभावी आयोजनों के माध्यम से देश के सर्वांगीण विकास में योगदान दे रही है।

अपने प्रेरणास्पद सम्बोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने बाबा रामदेवजी की भक्ति की भूमि, पोकरण की शक्ति परीक्षण की भूमि और नेत्रकुम्भ परिसर में स्थापित सेवा की भूमि को पवित्र त्रिवेणी संगम बताया जहाँ नेत्रजाँच सेवा के माध्यम से उन्नत और विकसित होते भारत देश और देश मे व्याप्त अंधत्व निवारण के बीच सन्तुलन बनाया गया है। जैसे हमारा देश चेचक, पोलियों, तपेदिक ओर स्मालपोक्स से मुक्त हुआ उसी प्रकार सक्षम ने पूरे देश मे ऐसे केंद्र बनाये है और कार्यकर्त्ता नियुक्त किये है जो देश को अन्धत्व से मुक्त कराएंगे।

परमात्मा रोगी के रूप में हमारे सामने आते है और हमारे द्वारा प्रदान की गई सेवा और देखभाल से हमे आशीर्वाद देते है। नेत्रकुम्भ के दौरान कई ऐसे बूढ़ी ओर गरीब माताएं आयीं जिनको 80 वर्ष की उम्र में चश्मा प्राप्त हुआ क्योंकि विषम आर्थिक स्थिति और अशिक्षा के कारण कमजोर नेत्र ही विधि का विधान मान स्वीकार कर लिया। ऐसे में सेवा के भाव से कार्यकर्त्ता अपने सामर्थ्य के अनुसार अपना समय, अपनी पूंजी और संसाधन प्रदान करें और एक ऐसा नेत्र स्वास्थ्य को समर्पित केंद्र बनाए जहॉं गरीबों को निःशुल्क उपचार प्राप्त हो। नागपुर में इसी ध्येय से माधव नेत्रालय, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा से सटे अत्यंत पिछड़े क्षेत्र चित्रकूट में सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय बनाया गया है।

देश मे अभी प्रतिवर्ष 25 से 30 हजार लोगों का कॉर्निया का दान होता है लेकिन अगर प्रतिवर्ष 30 लाख लोगों का कॉर्निया प्राप्त हो जाये तो कुछ ही वर्षो में देश कॉर्नियल अन्धत्व से मुक्त हो सकता है। इसके लिए कार्यकर्त्ता पूरे देश मे माहौल बनायें। प्रत्येक घर मे चर्चा हो कि घर के बूढ़े बुजुर्ग के देवलोकगमन पर उनके अमूल्य नेत्रों का दान करवाया जाए।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में राजस्थान के राज्यपाल  हरिभाऊ बागडे ने मानव कल्याण के आलोक में सेवा कार्य करने वाली सक्षम संस्था की जमकर तारीफ की उन्होंने कहा की यह इलाका देश का सूखा भाग है जहाँ बारिश कम होती है यहाँ हजारों लोगों की नेत्रजाँच हो गयी, उन्हें चश्मे दिए गए। जब लाभार्थी अपने घर जाए तब वह अपने घरवालों को कहे कि बाबा रामदेवजी के दर्शन के साथ उसे चश्मा भी प्राप्त हुआ है। चश्में प्राप्त करके लोग खुश है जैसे नए नेत्र मिल गए है और यही भाव नेत्रकुम्भ की सफलता है।

सक्षम संस्था पूरे देश मे कार्य करती है। सेवा भावी कार्यकर्त्ताओं का निर्माण करती है। नेत्रकुम्भ में सेवा भावी कार्यकर्त्ता आये, डॉक्टर्स आये और उन्होंने बहुत अच्छा कार्य किया जिसके लिए वे धन्यवाद देते हैं। यह सफलता इसलिए मिली कि हमारे स्वयंसेवक व कार्यकर्त्ताओं ने प्रामाणिक भाव से काम किया। प्रेम भाव से, लग्न से ओर आत्मीयता के भाव से इस आयोजन को सफलता मिली। हम करेंगे तो लोगों के लिए करेंगे यह जो संस्कार है वह लोगों को योगदान के लिए प्रेरित करता है। निःस्वार्थ भाव से जो संस्था काम करती है वही संस्था आगे बढ़ती है।

रामदेवरा में राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, यहाँ तक कि पाकिस्तान से भी श्रद्धालु पहुँचते हैं और बाबा की भक्ति करते हैं। यहां के लोग समर्पण भाव से बाबा के भक्तों की सेवा का कार्य करते है।

नेत्रकुम्भ मे नेत्रदान संकल्प भरने का जो पुण्यकर्म किया है, जो दृष्टि देने का कार्य करने वाले ऐसे लोगो को पुण्य की प्राप्ति होगी।

भारतीय संस्कृति हजारों सालों से चलती आ रही है। हमने हमेशा अच्छा कहा, अच्छा सीखा, हम किसी को तकलीफ नहीं देना चाहते लेकिन हमारी संस्कृति को नष्ठ करने कि कोशिश की गई। फिर भी हम मिटे नही क्योंकि हमारा देश धर्म प्रधान था, हमारे गुरु थे, हम पुराण पढ़ते थे और मंदिर जाते थे।
गुलामी के दौर में अंग्रेज ने यह आकलन किया कि वे भारत को, भारतीयों को ज्यादा समय तक गुलाम नही बना सकते क्योंकि भारत और भारत के नागरिकों के पास प्रमाणिकता, नैतिकता ओर धार्मिकता है। अगर भारत को गुलाम रखना है तो उसकी संस्कृति जड़ से उखाड़ देनी चाहिए, भारत की शिक्षा पद्धति को बदल दो तभी गुलामी रहेगी। अंग्रेजों ने हमारे गुरुकुल बंद कर दिए। हमारे ज्ञान को अप्रमाणित प्रचारित किया गया। हम पर इतने अत्याचार किये गए की हम सब भूल गए। नई शिक्षा नीति में वो सब पढ़ाया जाएगा जो हम सब भूल गए थे।

अभ्युदय की ओर
राजस्थान के राज्यपाल महोदय को अपना कार्यभार गृहण किए हुए 31 जुलाई को एक साल हुआ है। वे स्वयं ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं और सदैव प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में रह रही जनता की चिंता करते हैं। अपने 01 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होने उदयपुर, सलूम्बर और प्रदेश के अन्य आदिवासी क्षेत्रों का दौरा किया, वहाँ निवास किया, यहाँ की ग्रामीण संस्कृति को जाना और जो वहाँ के जो अनुभव आये उनको एक संस्मरण पुस्तिका “अभ्युदय की ओर” के रुप में प्रकाशित किया है। इस पुस्तिका का विमोचन रामदेवरा में रहने वाली आदिवासी भील समाज की महिला द्वारा व उपस्थित मंचासीन अतिथियों द्वारा कार्यक्रम के दौरान किया गया।

अंत मे आयोजन समिति महासचिव खेताराम लीलड़ ने इस सफल आयोजन पधारे सभी अतिथियों का धन्यवाद दिया। नेत्रकुम्भ की सफलता के लिए उन्होंने राज्य सरकार का आभार जताया जिसने इस कार्यक्रम की सफलता में पूर्ण सहयोग दिया। साथ ही इस कार्यक्रम को सफल बनाने में पुलिस, चिकित्सा, शिक्षा, सार्वजनिक निर्माण, विद्युत, जलदाय, प्रशासनिक विभाग, पोकरण नगरपालिका व चैयरमेन, ग्राम पंचायत रामदेवरा व सरपंच समंदर सिंह ओर प्रधान पंचायत समिति साकड़ा भगवन्त सिंह को भी धन्यवाद प्रेषित किया जिन्होने पूरी अवधि में सहयोग प्रदान किया।

भजन गायक प्रकाश माली को भी इस अवसर पे धन्यवाद प्रेषित किया जिन्होंने नेत्रकुम्भ के लिये पूरे भारत मे भ्रमण कर बाबा के भक्तों के बीच भजन सन्ध्या के माध्यम से प्रचार किया।

दिनांक 01 सितम्बर तक 100313 लोगों का पंजीकरण, 98226 लोगो को परामर्श, 83021 लाभार्थियों को निःशुल्क चश्मा व दवाई वितरण व 6074 रोगियों को निशुल्क सर्जरी के लिए चिह्नित किया गया।

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