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बीकानेर,चुनाव आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों को झटका देते हुए चुनाव प्रचार में बच्चों और नाबालिग को शामिल न करने पर रोक लगा दी है. आयोग का कहना है कि अगर कोई उम्मीदवार गाइडालाइन का उल्लंघन करते पाया जाएगा तो उसके खिलाफा बाल श्रम निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी.

इलेक्शन कमीशन ने चुनाव प्रचार में बच्चों के शामिल होने पर रोक लगा दी.

*नई दिल्ली,*
2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. सोमवार को चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार में बच्चों और नाबालिग को शामिल न करने की हिदायत दी है. आयोग ने सख्य निर्देश जारी किए हैं और कहा है कि आम चुनाव में प्रचार के पर्चे बांटते हुए, पोस्टर चिपकाते हुए, नारे लगाते हुए या पार्टी के झंडे बैनर लेकर चलते हुए बच्चे या नाबालिग नहीं दिखने चाहिए.

*’प्रचार में बच्चों का शामिल होने बर्दाश्त नहीं’*
चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव संबंधी कार्यों या चुनाव अभियान गतिविधियों में बच्चों को शामिल करना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. इस गाइडलाइन में किसी भी तरीके से बच्चों का राजनीतिक अभियान में शामिल करना, जिसमें कविता पाठ करना, गीत, नारे या बच्चों के द्वारा बोले गए शब्द या फिर उनके द्वारा किसी भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार के प्रतीक चिन्हों का प्रदर्शन करना शामिल है. चुनाव अभियान संबंधी गतिविधियों में बच्चों को शामिल करना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

*’गाइडलाइन का उल्लंघन करने पर होगी कार्रवाई’*
आयोग ने कहा कि अगर कोई भी दल अपने चुनाव प्रयास में बच्चों को शामिल करते हुए पाया गया तो बाल श्रम से संबंधित सभी अधिनियम, कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी.

इस संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग अधिकारी को कार्रवाई करने के जिम्मेदारी दी गई है. हालांकि, किसी राजनीतिक नेता के आसपास अपने माता-पिता या अभिभावक के साथ एक बच्चे की मौजूदगी को चुनाव प्रचार गतिविधि में शामिल नहीं किया गया है और न ही इस गाइडलाइन का उल्लंघन माना जाएगा.

आयोग ने बच्चों से प्रचार कराने पर पकड़े जाने पर कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को बाल श्रम (निषेध और विनियमन) द्वारा संशोधित बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करना आवश्यक है.

*राजनीतिक दल न दें अनुमति: आयोग*

आयोग ने अपनी गाइडलाइन में बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि संशोधित अधिनियम, 2016 का सभी राजनीतिक दलों को बच्चों को चुनाव प्रचार शामिल न करना सुनिश्चित करें और दल अपने उम्मीदवारों को इसकी अनुमति न दें.

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