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बीकानेर,मानव धर्म प्रचार सेवा संस्थान के संयोजन में बंबलू निवासी हाल मीरारोड मुम्बई के धर्मपरायण भामाशाह आसदेव परिवार की धर्मपरायण माता धापुदेवी के पुत्र कान्ट्रेक्टर श्रीरामप्रताप आसदेव कुंदनमल आसदेव लक्ष्मण आसदेव नवरत्न मनोज पार्थ दिनेश आसदेव परिवार गांव बम्बलु हाल मीरारोड़ मुम्बई की यजमानी में बालसंत श्रीछैल विहारी महाराज की सन्निधि में नया शहर, सुथार मोहल्ला पारीक चौक स्थित भागवत बासा भवन में नवरात्रि हवन यज्ञ साधना अनुष्ठान अनवरत जारी हे।। तीसरी दिवस बालसंत श्री छैल विहारी महाराज द्वारा तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा मे सर्वप्रथम गणेश नवग्रह सप्त ऋषि मंडल पंचोपचार एवं षोडशोपचार के द्वारा विधिवत पूजन किया गया। तत्पश्चात श्री दुर्गा सप्तशती पाठ मंगल स्तोत्र के साथ श्रीसुक्तम ओर इंद्राक्षी कवच एवं गायत्री बीज मंत्र के द्वारा 1008 आहुतियों से हवन-यज्ञ किया गया।संस्थान सचिव सीमा पुरोहित ने बताया कि बालसंत द्वारा तीसरे दिन दोपहर कालीन नवरात्रि प्रवचन में माता के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा किनवरात्रि में तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व है। इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है।और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। इसलिए हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विहित विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना करना चाहिए। इससे सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं। यह देवी कल्याणकारी है।

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