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सैन फ्रांसिस्को: अमेरिका के शोधकर्ताओं की एक टीम ने पता लगाया है ओकुलर स्वैब द्वारा लिए गए आंसुओं के सैंपल से कोविड-19 के कोरोना वायरस का पता लगे जा सकता है. एक नए अध्ययन में इसका खुलासा हुआ

जर्नल ऑफ क्लिनिकल मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने अस्पताल में भर्ती मरीजों के पारंपरिक तरीकों से बीमारी का पता चलने वाले नमूनों का विश्लेषण करते हुए इसका पता लगाया है. 18.2 प्रतिशत नमूनों में SARS-CoV-2 मौजूदगी का पता चला था, इसके आधार पर शोधकर्ताओं ने बताया कि ये कोविड के पारंपरिक जांच स्वैबिंग विधि का विकल्प हो सकती है, जो प्रायः बहुत ही अप्रिय है.

जर्नल में छपी लेख में लेखक लुइज़ फर्नांडो मंज़ोनी लौरेनकोन ने बताया, ‘शुरुआत में हमने रोगियों को असुविधा दिए बिना ही नमूनों को इकठ्ठा किया.नाक और नासॉफिरिन्जियल स्वैबिंग न केवल अप्रिय है, बल्कि अक्सर गलत तरीके से भी किया जाता है. नाक सेप्टम विचलन वाले लोगों के लिए, यह एक समस्या पैदा कर सकती है.’

उन्होने आगे बताया, ‘हमने सोचा की आंख से आंसू के सैंपल की जांच करना हमारे लिए आसान और लोगो के लिए सहनीय होगा. ऐसा हुआ भी. हमने सफलता पूर्वक ऐसा कर दिखाया. यद्यपि, हमें मालूम नहीं था कि जांच के लिए एकत्रित तरल की मात्रा जांच को प्रभावित करेगी या नहीं.’उन्होनें बताया कि अध्यन के लिए 61 मरीजों को चुना गया था, उनमे से आरटी-पीसीआर के नासॉफिरिन्जियल स्वैब जांच में 33 कोविड पॉजिटिव पाए गए थे जबकि 28 के रिपोर्ट नेगेटिव थे. इन कुल मरीजों के आंसू का परीक्षण किया गया था. शोध के निष्कर्ष से मालूम चलता है कि आंसुओं में वायरस का पता लगाने की संभावना तब अधिक होती है जब रोगी के पास उच्च वायरल लोड होता है.

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