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बीकानेर, राजस्थान के पश्चिमी शुष्क क्षेत्र में स्टार्टअप का समर्थन और क्षेत्र की आय बढ़ाने में योगदान करने, क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा की खोज और विकास करने, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के बीच संबंधों को बढ़ाने और विकास में योगदान देने जैसे मिशन को लेकर स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में बीकानेर में रूरल बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर (RBIC) प्रस्ताव पर चर्चा करने नाबार्ड नाबार्ड हाई पावर्ड कमिटी ने दौरा किया। कृषि व्यवसाय प्रबंधन संस्थान (आईएबीएम )बीकानेर में नाबार्ड की टीम श्री पुष्पहास पांडे, जनरल मैनेजर, श्री सी.पी त्रिवेदी, एमजीआर श्री रमेश ताम्बिया, डीडीएम बीकानेर सहित नाबार्ड के अधिकारियों ने आईएबीएम निदेशक डॉ मधु शर्मा से प्रपोजल के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और RBIC हेतु चयनित भवन सीएलसी का निरीक्षण किया। इसके पश्चात विभिन्न इकाईयों का भ्रमण किया। कुलपति प्रो सिंह ने कहा की आईएबीएम में RBIC खुलने से यह विश्वविद्यालय देश व राज्य की स्टार्टअप, एंटरप्रेन्योर्स व कृषि क्षेत्र से जुड़ी प्राथमिकताओं को पूरा करने में खरा उतरेगा। RBIC कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में इच्छुक उद्यमियों को विचारधारा के चरण से लेकर व्यवसायीकरण तक और फीडबैक के आधार पर समीक्षा करने में सहायता प्रदान करने में मदद करेगा। व्यवसाय करने में रुचि रखने वाला और मजबूत व्यावसायिक विचार रखने वाला कोई भी इनक्यूबेट, इस केंद्र से संपर्क कर सकता है। आइडिया और उसके पोटेंशियल की स्क्रीनिंग के बाद, नाबार्ड की मदद से छात्रों के विचार को क्रिस्टलीकृत करने, व्यवसाय योजना तैयार करने, धन जुटाने के लिए और संस्थानों से वित्तीय सहायता प्राप्त करने और उत्पाद / सेवाओं को बाजार तक ले जाने में सहायता करेंगे।

 

इंटेग्रटेड फ़ार्मिंग सिस्टम का विजिट- नाबार्ड टीम ने विश्वविद्यालय स्थित इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (आईएफएस) यूनिट का भी विजिट किया। विजिट के दौरान निदेशक (शिक्षा प्रसार) डॉ सुभाष चंद्र ने आइएफएस की जानकारी दी। टीम ने मुर्गी पालन, बकरी पालन, अजोला, वर्मी कंपोस्ट और ओचार्ड के प्रबंधन, व्यवस्थाओं, आय , खर्चा आदि विभिन्न सूचनाओं को संकलित किया। डॉ उपेंद्र ,डॉ दुर्गाशंकर, डॉ जाखड़ ने आई एफ एस का भ्रमण कराया।

 

SKRAU में RBIC, बीकानेर का लक्ष्य स्टार्टअप्स और नवोदित उद्यमियों के पोषण और हैंड होल्डिंग द्वारा ‘ऑन फार्म एक्टिविटीज’ और बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज के लिए कृषि व्यवसाय में नवाचारों और उद्यमिता को बढ़ावा देना है। लाभकारी एवं प्रमाणित प्रौद्योगिकियों को किसानों एवं उद्यमियों को हस्तांतरित किया जायेगा। कृषि विश्वविद्यालय के विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ और क्षेत्र में काम कर रहे संगठनों के साथ कई एमओयू (समझौता ज्ञापन) हैं, सलाहकारों, विशेषज्ञों और नेटवर्किंग की व्यवस्था बहुत प्रभावी ढंग से की जाएगी और लाभार्थियों की क्षमता निर्माण में मदद करेगी।

 

SKRAU क्यों इनक्यूबेशन सेंटर को बढ़ावा देना चाहता है- भोजन की बढ़ती मांग और घटती खेती, पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा के उपयोगों का पता लगाना और नवाचारों के माध्यम से कृषि में इसे संभव बनाना महत्वपूर्ण है। विश्वविद्यालय के छात्रों को केवल नौकरी तलाशने वाला ना होकर, नौकरी देने वाला होना चाहिए हैं। छात्रों, शिक्षकों और विश्वविद्यालय के पारिस्थितिकी तंत्र को उद्यमशीलता की गतिविधि से सुसज्जित करना ताकि इस तरह के पारिस्थितिकी तंत्र में स्टार्टअप बनाया जा सके। इसके अलावा, ये हितधारक बदले में परिसर में इनक्यूबेट किए गए उद्यमी में योगदान करते हैं।

RBIC द्वारा की जाने वाली गतिविधियां- बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर एक सफल स्टार्टअप बनाने की जरूरतों को पूरा करेगा इसके तहत राज्य या राज्य के बाहर से उद्यमियों या स्टार्ट अप को आमंत्रित करना, काउन्सलिन्ग और फिर सलेक्शन। इनक्यूबेट्स का चयन – स्टार्टअप टीम की क्षमता, आइडिया बाजार की मांग को पूरा करना, ,प्रशासनिक सेटअप, प्रशिक्षण और कोचिंग, नेटवर्किंग,गतिविधियाँ और कार्यक्रम , व्यापार सलाह,, चयन प्रक्रिया,, मेंटरशिप, फंडिंग जैसे महत्वपूर्ण कारकों के मूल्यांकन पर आधारित होगा।

जिन महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा – फसल उत्पादन प्रौद्योगिकी/नवाचार, अपशिष्ट प्रबंधन और उत्पाद, मृदा और जल प्रबंधन सहित प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, सटीक खेती, जैविक खेती और खाद्य पदार्थ, मशरूम की खेती, औषधीय और सुगंधित पौधे, वन उत्पाद, प्रसंस्करण दुग्ध उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण, बेकरी और कन्फेक्शनरी, अपशिष्ट प्रबंधन और उत्पाद, अन्य विकल्प, हस्तशिल्प, वेयरहाउसिंग, मार्केटिंग, परिवहन, आईसीटी, परामर्श और शिक्षा जैसी सेवाएं, कृषि उपकरणों की कस्टम हायरिंग आदि।

 

किसको क्या फायदा मिलेगा- इनक्यूबेशन सेंटर में स्टार्टअप के लिए जिन पर ध्यान दिया जाएगा वो इस प्रकार है –

महिला- खाद्य प्रसंस्करण और हस्तशिल्प उद्यम, किसान – कृषि स्टार्टअप, छात्र – एग्री स्टार्टअप, एसएचजी और एफपीओ-कृषि और ग्रामीण स्टार्ट अप, एमएल-एआई आधारित एग्री स्टार्टअप, स्मार्ट सिटी और गांवों के लिए स्टार्टअप।

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