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बीकानेर ,संगीत मनीषी डॉ. जयचंद्र शर्मा की 103 वीं जयंती पर बागेश्वरी संगीत संस्था एवं म्यूजिकल इमोशंस ग्रुप द्वारा महाराजा नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम में “संगीत मनीषी डॉ. जयचंद्र शर्मा जयंती समारोह” का आयोजन किया गया  ।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी नेमीचंद पारीक ने कहा कि डॉ. जयचंद्र शर्मा की संगीत साधना और स्मृतियों को चिरस्थायी बनाए रखना आवश्यक है ।  मुख्य वक्ता लेखक अशफाक कादरी ने डॉ जयचंद्र शर्मा के व्यक्तित्व कृतित्व पर पत्रवाचन करते हुए कहा कि डॉ. जयचंद्र शर्मा ने राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत चिंतन को परिभाषित किया । विशिष्ठ अतिथि डॉ..अजय जोशी ने डॉ.शर्मा के संगीत लेखन को संरक्षित करने का आह्वान किया । कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि डॉ. अजीज अहमद सुलेमानी ने कहा कि डॉ. जयचंद्र शर्मा ने शास्त्रीय संगीत के साथ लोक संगीत को जन जन तक पहुंचाया । विशिष्ठ अतिथि राजेंद्र  जोशी ने डॉ शर्मा के संगीत योगदान से प्रेरणा ग्रहण करने पर बल दिया । कार्यक्रम की अध्यक्षता रंगकर्मी संगीतज्ञ एल एन सोनी ने की ।बागेश्वरी संस्थान के निदेशक अब्दुल शकूर सिसोदिया सिसोदिया ने अतिथियों का स्वागत किया ।

प्रमुख कलाकारों का सम्मान

कार्यक्रम में गजल गायक रफीक सागर, सितारवादक असित गोस्वामी, तबला नवाज उस्ताद गुलाम हुसैन, हवेली संगीत गायक प. नारायण रंगा को माल्यार्पण, शॉल, श्रीफल, सम्मान प्रतीक अर्पित कर सम्मानित किया गया । संयोजक डॉ. राजभारती शर्मा ने अतिथियों का परिचय दिया ।

कलाकारों ने शास्त्रीय गायन, कथक नृत्य प्रस्तुत किया

कार्यक्रम में चंद्र शेखर सांवरिया  ने सरस्वती वंदना सृजन की दिशा दे हृदय को प्रस्तुत की।  समन्वयक अहमद बशीर सिसोदिया ने कार्यक्रम के उद्देश्यों और रूपरेखा प्रस्तुत की । सुश्री जयश्री तरफदार ने संगीतज्ञ डॉ मुरारी शर्मा की रचना  कथक- ठुमरी शैली में – गौरी तोरे नैना कजर बिन कारे  में प्रस्तुत की। बाल कलाकार सुश्री यशविता पारीक ने वैष्णव जन तो तेने कहिए पीर पराई जाने रे  सुनाया । इस अवसर पर  वरिष्ठ चित्रकार स्व दीनानाथ पटवा, स्व प्रकाश सेठिया, आसकरण सांखला, डॉ सीमां भट्ट को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में डॉ मुरारी शर्मा की साहित्यिक संगीत रचना – सुश्री तोषिका लाटा ने प्रस्तुत की । युवा गायक गौरी शंकर सोनी ने शास्त्रीय राग, चंद्रशेखर सांवरिया ने गुरवाणी सबद  प्रस्तुत किया । निखिल पांडेय (राजलदेसर)  ने बांसुरी पर राग यमन प्रस्तुत किया ।

 

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