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बीकानेर, नगर निगम के वर्तमान बोर्ड के अब तक के 30 महीनों के कार्यकाल में पहली बार सदन में जनसमस्याओं पर चर्चा होगी। इस बोर्ड में अब तक तीन बजट बैठके ई है। एक साधारण सभा की बैठक जरूर हुई, लेकिन कुछ मिनट बाद ही समाप्त हो गई। जनसमस्याओं पर चर्चा के लिहाज से यह पहला अवसर होगा, जब जनसमस्याओं पर चर्चा करेंगे। हालांकि, बैठक से कोई उद्देश्य हल हो पाएगा, इसको लेकर संशय है। पाकर भाजण महापौराक से दूरी बनाए रखना है, जिसका अब तक संकेत मिल रहा है।

दरअसल, आयुक्त की ओर से बुलाई गई साधारण सभा की बैठक से महापौर और भाजपा पार्षद है। निगम में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब आयुक्त बैठक बुलाना चाह रहे हैं और सत्तास्व मोड़ के पार्षद बैठक बुलाने पर नाराजगी जता रहे हैं। भाजपा पार्षदों का तर्क है कि आयुक्त ने बिना महापौर की अनुमति के बैठक बुलाई है।

राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार पादों की शिकायत शिकवा अथवा नाराजगी का कारण हो सकता है, लेकिन सदन में चर्चा से दूर रहने को किसी भी स्तर पर जयज नहीं ठहराया जा सकता है। जिस पार्टी के पार्षद सदन में जनसमस्याओं की चर्चा के दौरान गैरमौजूद रहते हैं, उनके संगठन पदाधिकारियों को संज्ञान लेना चाहिए। यह जनहित में उचित नहीं है।

नगर निगम के वर्तमान बोर्ड के ढाई साल के अब तक के कार्यकाल में नियमानुसार 15 साधारण सभा की बैठकों के आयोजन हो जाने चाहिए थे। हर दो महीनों के बाद साधारण सभा की बैठक होने का नियम है। में लेकिन निगम में अब 2020, 2021 और 2022 में सिर्फ बजट बैठक ही हो पाई ई है। एक बार साधारण सभा जरूर हुई, लेकिन चंद मिनट ही चली। जनसमस्याओं पर चर्चा के लिए यह पहली बैठक है।

बैठक शुक्रवार सुबह 11.30 बजे गांधी म्यूनिसिपल सभागार में होगी। आयुक्त गोपालराम विरदा के अनुसार साधारण सभा के गए विचारणीय विन्दुओं में बीकानेर नगरीय क्षेत्र में सार्वजनिक सफाई सीवरेज, बेसहारा पशु प्रकाश व्यवस्था शामिल है। वहीं स्थापना प्रशासन अनुभाग से संबंधित प्रकरणों पर भी चर्चा होगी।

नगर निगम में पार्षदों की संख्या 92 होने व स्थान की कमी के कारण इस बार साधारण सभा को लेकर पार्षदों के बैठने की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। इस बार पायदों के बैठने के लिए टेंट की कुर्सियां मंगवाई गई है। वहीं सदन अध्यक्ष उपाध्यक्ष, आयुक्त के बैठने की व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है। जिस स्थान पर सदन अध्यक्ष की कुर्सी रहती है, इस बार उसी स्थान पर सदन अध्यक्ष, उपाध्यक्ष आयुक्त की कुर्सियां एक लाइन संख्या 47 है। लगाई गई है।

निगम की साधारण सभा की बैठकें नियत समय पर होना जरूरी है। ऐसा नहीं होने से निगम संबंधित कार्य और लोकहित के कार्य बाधित होते हैं। यह कहना है नगर निगम आयुक्त गोपालराम बिरदा का उन्होंने बताया कि साधारण सभा में निगम की ओर से करवाए जाने वाले कार्यों, एमओयू, नए कार्यों की स्वीकृतियों, व्यय आदि का अनुमोदन होता है। यह आवश्यक है। साधारण सभा नहीं होने से इनका अनुमोदन नहीं हो पा रहा है। निगम के वित्तीय और प्रशासनिक कार्य अटक रहे हैं। पार्षदों की कमेटियों का मामला अटका हुआ है, इसलिए साधारण सभा की बैठक आवश्यक है।

आयुक्त के अनुसार जनसमस्याओं को लेकर सवन में चर्चा जरूरी है। इससे निगम की ओर से कराए जा रहे कार्यों की धरातल की स्थिति सामने आती है। सदस्यों के सुझावों से कार्य व्यवस्थाओं में और सुधार का मार्ग प्रशस्त होता है। सदन में चर्चा लोकहित व निगम हित के लिए आवश्यक है।

सदन सदस्यों का दायित्व है कि वे सदन की बैठकों में शामिल हो और शहर व निगम हित में अपनी अहम भूमिका निभाएं। आयुक्त के अनुसार सभी सदन सदस्यों को प्रत्येक बैठक में आना चाहिए व अपने दायित्वों का पालन करना चाहिए। अगर कोई सदस्य बैठक में जानबूझकर शामिल नहीं होता है तो उसकी और से ली गई शब्द का उल्लंघन है।

बीकानेर,नगर निगम की साधारण सभा को लेकर कांग्रेस पार्षदों की बैठक गुरुवार नेता प्रतिपक्ष चेतना चौधरी की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में भी कांग्रेस पार्षदों की एकजुटता नजर नहीं आई। कई वरिष्ठ पार्षदों ने दूरी बनाए रखी। बैठक से पहले वो धड़ों में नजर आए कांग्रेसी पार्षदों को देखकर नहीं लगता है कि शुक्रवार को होने वाली साधारण सभा में कांग्रेस पार्षद कोई करिश्मा दिखा पाएंगे। नेता प्रतिपक्ष चेतना चौधरी के अनुसार पार्षदों की बैठक में आयुक्त के उस बयान की निंदा की गई है. जिसमें उन्होंने बैठक में उपस्थित नहीं होने वाले पार्षदों के निलम्बन की बात कही है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में इस प्रकार का बयान अनुचित है। वहीं कांग्रेस पार्षद जावेद पड़िहार ने साधारण सभा बैठक से सत्तारूड बोर्ड के सदस्यों के दूरी बनाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ बोर्ड को जनसमस्याओं पर हो रही चर्चा में शामिल होना चाहिए। आयुक्त को लेकर नाराजगी है तो सदन में चर्चा करें और अपना पक्ष रखें।

सदन में कांग्रेस के 30 निर्वाचित पार्षद है। पांच निर्दलीय पार्षद कांग्रेस समर्थित बताए जा रहे हैं। वहीं 12 मनोनीत पार्षद भी कांग्रेस के हैं। इस प्रकार सदन में कुल 92 पार्षदों में कांग्रेस समर्थित व मनोनीत पार्षदों की

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