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बीकानेर,मनमानी के भुगतान को लेकर नगर निगम घिरा हुआ है। 2018 के बाद से विभिन्न ठेकेदारों को अनियमित तरीके से 13.40 करोड़ से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। कुछ मामलों में निगम ने वसूली नहीं की।एजी के ऑडिट में यह खुलासा हुआ है। एजी ऑडिट के सभी दस्तावेज हैं जो ऑडिट ने मेमो के रूप में निगम को दिए हैं। अब निगम जवाब नहीं दे पा रहा है।

थास वेस्ट मैनेजमेंट के तहत 2017 में खरीदे गए 200 कचरा कंटेनरों का मामला हो या 2018 में ट्रैक्टर ट्रॉली के टेंडर में फर्म द्वारा दिए गए रेट पर काम नहीं करने पर उन्हें तीन साल के लिए दूसरे टेंडर में भाग लेने से नहीं रोकने का मामला हो।

एक-एक मामले की बारीकी से समीक्षा करने के बाद ऑडिट में पाया गया कि कई मामलों में नगर निगम ने ठेकेदारों को अनियमित रूप से 13.40 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. जून 2019 में हुए ट्रैक्टर टेंडर की समीक्षा में ऑडिट में साफ लिखा था कि पार्षदों ने दो फेरे प्रतिदिन की बात कही, फिर भी निगम ने तीन फेरे प्रतिदिन किए। ऐसा भ्रष्टाचार और ठेकेदार को फायदा पहुंचाने की मंशा से किया गया। एजी के ऑडिट में मिली खामियों पर निगम से जवाब मांगा गया है। वैसे तो मामले पुराने हैं, लेकिन गड़बड़ी साबित होने पर जिम्मेदारों को सजा हो सकती है।

एजी ने माना- ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए किया भ्रष्टाचार और खेल

1. कचरा कंटेनर में निगम को 8.38 लाख का नुकसान : एसबीएम योजना के तहत 2017 में 200 कचरा कंटेनर खरीदे गए। जोधपुर ने 18,660 रुपये में एक कंटेनर खरीदा, जबकि बीकानेर निगम ने इसे 22,000 रुपये से अधिक में खरीदा। प्रति कंटेनर 4194 रुपए ज्यादा देने पड़े। इससे निगम को 838800 रुपये का नुकसान हुआ। खरीदे गए 200 कंटेनरों में से केवल 85 ही काम कर रहे हैं।

2. नियम विरुद्ध फर्मों को दिए थे टेंडर मार्च 2018 में ट्रैक्टर ट्रॉली व जेसीबी के टेंडर हुए थे। इसमें 9.71 करोड़ का अनियमित भुगतान किया गया। नियम कहता है कि अगर फर्म अपने रेट पर काम नहीं करती है तो उसे दूसरे टेंडर में तीन साल तक मैका नहीं मिलेगा। इसके लिए दो फर्मों पर जुर्माना भी लगाया गया था। लेकिन बाद में इन फर्मों को ट्रैक्टर का काम दे दिया गया।

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