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बीकानेर,अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बीकानेर स्थित केंद्र राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र बीकानेर के बीच साझा रिसर्च और लर्निंग प्रोग्राम के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। यह एमओयू आज, 10 जनवरी 2025 को बीटीयू कुलपति प्रो अजय कुमार शर्मा की उपस्थिति में हस्ताक्षरित किया गया है। एमओयू पर ईसीबी – बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय की तरफ से डा. ओम प्रकाश जाखड़ ने हस्ताक्षर किए तथा राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान बीकानेर की तरफ से हस्ताक्षर डॉ. टीके भट्टाचार्य, निदेशक, आईसीएआर-नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्विन्स, हिसार द्वारा किए गए है।समारोह में प्रो अजय कुमार शर्मा, माननीय बीटीयू कुलपति, अश्व अनुसंधान केंद्र बीकानेर के क्षेत्रीय परिसर इक्विन प्रोडक्शन कैम्पस के प्रमुख तथा जेनेटिक्स और ब्रीडिंग विभाग के प्रमुख और प्रिंसिपल वैज्ञानिक डा एस सी मेहता, ईसीबी प्राचार्य डा ओपी जाखड़, बीटीयू डीन डा यदुनाथ सिंह, डॉ. मुहम्मद कुट्टी, वैज्ञानिक, एनिमल बायोकेमिस्ट्री, विभिन्न विभागाध्यक्ष एवम फैकल्टी मेम्बर्स आदि उपस्थित थे।

भारत की अश्व एवम गधों की आबादी पिछले कुछ दशकों से तेजी से घट रही है, जिसमें गुजरात के प्रतिष्ठित हलारी सफेद गधों सहित कई नस्लें विलुप्त होने के कगार पर हैं। हालांकि, गधों की मांग में हाल ही में वृद्धि हुई है, जो कॉस्मेटिक और फार्मास्यूटिकल उद्योगों में गधे के दूध के बढ़ते उपयोग से प्रेरित है। जैसे ही उद्यमी गधे पालन की ओर आकर्षित होते हैं, आधुनिकीकरण और सतत प्रथाओं की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

इलेक्ट्रोनिक्स, ऑटोमेशन एवम एआई इस उद्योग को बदलने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है:
1. मानवीय श्रम को कम करना: स्वचालन इनपुट लागत को कम करता है, संसाधन प्रबंधन में सुधार करता है, और अपशिष्ट को कम करता है।
2. सुपरविजन और प्रबंधन में सुधार: उन्नत प्रौद्योगिकियां पशु स्वास्थ्य, उत्पादकता, और फार्म की स्थिति की वास्तविक समय की ट्रैकिंग को सक्षम बनाती हैं, जिससे बेहतर परिणाम सुनिशूसित होते हैं।

ये होंगे फायदे

• एनिमल हेल्थ और वेलफेयर में सुधार करना।
• अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर और राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान बीकानेर ने साझा रिसर्च और लर्निंग प्रोग्राम चलाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
• इस प्रोग्राम का उद्देश्य अश्व अनुसंधान में इलेक्ट्रोनिक्स आधारित इंस्त्रूमेंटेशन, ऑटोमेशन और आईटी सिस्टम्स का समावेश करना है।
• ईसीबी के छात्रों को अपने इलेक्ट्रॉनिक, एंबेडेड और आईओटी सिस्टम डेवलपमेंट स्किल्स का उपयोग विभिन्न देसी तथा आयातित अश्वों की नस्ल बेहतर बनाने, अश्वो की कार्यक्षमता एवम उत्पादकता बढाने के साथ साथ इनके स्वास्थ्य सम्बंधित पारामीटर्स की उचित निगरानी तथा खानपान को ऑटोमेटेड सिस्टम्स के साथ बेहतर बनाने तथा इस क्षेत्र में अनुसंधान में करने का अवसर मिलेगा।
• इस एमओयू से दोनों संस्थानों के बीच सहयोग और ज्ञान साझा करने अश्व अनुसंधान में नवाचार और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त होगा।
• छात्रों को उद्योग और शोध के बीच की खाई को पाटने में मदद मिलेगी तथा यह प्रोग्राम दोनों संस्थानों के बीच दीर्घकालिक संबंधों की नींव रखेगा।

*तीन चरणों में विकसित किया जायेगा सिस्टम*

इस एमओयू के तहत तीन चरणों में ईसीबी के ईआईसीई विभाग में इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमेटिक सिस्टम विकसित किए जाएंगे जो आईओटी के साथ मिलकर काम करेंगे। इन चरणों में शामिल हैं:

• चरण-1: ऑटोमेटिक एनिमल फीड और वॉटर सप्लाई और मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित करना।
• चरण-2: ऑटोमेटिक क्लाइमेट कंट्रोल सिस्टम विकसित करना जो एनिमल हाउसिंग के लिए उपयुक्त होगा।
• चरण-3: ऑटोमेटिक मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित करना जो एनिमल के बॉडी पैरामीटर्स जैसे पल्स, रेस्पिरेशन, बॉडी मूवमेंट आदि की निगरानी करेगा।

इस एमओयू के तहत अश्व की बेहतर निगरानी खानपान एवम स्वास्थ्य जांच के लिए ऑटोमेशन सिस्टम विकसित किए जाएंगे । इस परियोजना के संचालन की जिम्मेदारी ईसीबी के सहायक प्रोफेसर अरविंद और हरजीत सिंह एवम केंद्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ कुट्टी नेतृत्व में विभिन्न वैज्ञानिको की टीम देखेगी। दोनो संस्थानो के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में, वित्तीय संसाधनों और जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इलेक्ट्रोंनिक एवम ऑटोमेशन तकनीक के समावेश के साथ यह परियोजना आगे बढ़ेगी।

इलेक्ट्रोनिक्स तथा एआई आधारित इंस्ट्रूमेंटेशन अश्व की उत्पादकता, स्वास्थ्य बेहतर बनाते हुए इसके नस्लीय विकास को गति प्रदान करेगा। मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च को बढावा देने वाले इस एमओयू से दोनों संस्थानों के बीच सहयोग और ज्ञान साझा करने अश्व अनुसंधान में नवाचार और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने का मार्ग प्रशस्त होगा। छात्रो को अपनी स्किल्स उद्योगो के अनुरूप सटीक एवम बेहतर बनाने का अवसर मिलेगा।_
*प्रो. अजय कुमार शर्मा कुलपति, बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय, बीकानेर*

*इन्होंने ये कहा*

_भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बीकानेर स्थित अश्व अनुसंधान केंद्र के साथ इसीबी का शोध एवम अकादमिक क्षेत्रो में साझा प्रयास इंटेलिजेंट इंस्ट्रूमेंटेशन सिस्टम्स आधारित आधुनिक टेक्नोलोजी का विकास सम्भव हो सकेगा।_
*डा. ओम प्रकाश जाखड प्राचार्य, इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर*

_विलुप्त होती जा रही कुछ विशिष्ट नस्लो के संरक्षण में इंजीनियरिंग स्किल्स की मदद महत्वपूर्ण साबित होगी । भारत की अश्व एवम गधों की आबादी पिछले कुछ दशकों से तेजी से घट रही है, जिसमें गुजरात के प्रतिष्ठित हलारी सफेद गधों सहित कई नस्लें विलुप्त होने के कगार पर हैं। हालांकि, गधों की मांग में हाल ही में वृद्धि हुई है, जो कॉस्मेटिक और फार्मास्यूटिकल उद्योगों में गधे के दूध के बढ़ते उपयोग से प्रेरित है। जैसे ही उद्यमी गधे पालन की ओर आकर्षित होते हैं, आधुनिकीकरण और सतत प्रथाओं की आवश्यकता महसूस की जा रही है।_
*डा एस सी मेहता, क्षेत्रीय परिसर इक्विन प्रोडक्शन कैम्पस के प्रमुख तथा जेनेटिक्स और ब्रीडिंग विभाग के प्रमुख और प्रिंसिपल वैज्ञानिक, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, आईसीएआर, हिसार*

गधे पालन में ऑटोमेशन एवम एम्बेडेड इलेक्ट्रोनिक सिस्टम को एकीकृत करके, भारत अपनी घटती गधों की आबादी को पुनर्जीवित कर सकता है, सतत प्रथाओं को सुनिश्चित कर सकता है, और गधे के दूध की बढ़ती मांग का लाभ उठा सकता है। यह नवीन दृष्टिकोण भारत की गधों की आबादी के भविष्य को सुरक्षित करने में मदद कर सकता है और देश की कृषि वृद्धि में योगदान कर सकता है।डा मुहम्मद कुट्टी, वैज्ञानिक, एनिमल बायोकेमिस्ट्री

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