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बीकानेर राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र द्वारा ऊंटनी के दूध के प्रति जागरूकता बढ़ाने एवं इसे एक व्यावसायिक स्वरूप प्रदान करने के के लिए दक्षिण भारत की तरफ रूख किया गया है। इसे लेकर एनआरसीसी एवं अंकुशम प्रा.लि. पुणे के समन्वय से कोयम्बटुर में एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस एनआरसीसी के निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू एवं अंकुशम इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर मनीकन्दन पी. के मध्य एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत अंकुशम प्रा.लि. द्वारा संघमित्रा के नाम से उष्ट्र दूध व दुग्ध उत्पादों का व्यवसाय प्रारम्भ किया गया है जो कि अंकुशम ग्रुप का एक हिस्सा बनेगा। इसके साथ ही कैमल सके। मिल्क से संबंधित दक्षिण भारत में पहला कैमल डेयरी फॉर्म खुल गया दौरान है। कार्यक्रम के दौरान केन्द्र निदेशक डॉ. आर्तबन्धु साहू ने कहा कि ऊंटनी के दूध की वैज्ञानिक आधार पर औषधीय गुणधर्मों को देखते हुए एनआरसीसी द्वारा गत डेढ़ दशक से ज्यादा समय से इसके प्रति आमजन में जागरूकता बढ़ाने एवं इसे व्यावसायिक स्वरूप प्रदान करने के लिए देशभर में सतत पहल की जा रही है, ताकि मानव स्वास्थ्य लाभ के लिए एक औषधि भण्डार के आधार पर दूध का अधिकाधिक प्रचलन बढ़ सके तथा ऊंट पालकों को दूध का सही बाजार भाव मिल सके।

डॉ. साहू ने कहा कि एनआरसीसी इस क्षेत्र में ऊंट पालन व्यवसाय के इच्छुक पशुपालकों को क्षेत्रानुसार प्रबन्धकीय कौशल के लिए प्रशिक्षण भी देगी।

इस अवसर पर अंकुशम इंजीनियरिंग ग्रुप के मनीकन्दन पी ने कहा कि ग्रुप नवाचार संबंधी कार्यों को प्राथमिकता प्रदान करने के साथ कृषि आदि क्षेत्र संबंधी विकासात्मक कार्यों की दक्षता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करता है। इस अवसर पर केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. आर. के. सावल ने केन्द्र की ऊंट प्रजाति से जुड़ी वैज्ञानिक गतिविधियों एवं टूरिज्म को लेकर किए जा रहे नए आयामों में व्यावहारिक प्रयासों पर प्रकाश डाला।

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